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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी नवंबर 2025

 गणाधिप संकष्टी चतुर्थी नवंबर 2025

Ganadhipa Chaturthi 2025: नवंबर में कब है गणाधिप चतुर्थी? जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा का सही तरीका

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, जिसे संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। मार्गशीर्ष माह (अगहन) के कृष्ण पक्ष की यह चतुर्थी गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहलाती है, जो अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। इस दिन श्रद्धालु भक्त भक्ति भाव से विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं, दुख और संकट दूर होते हैं। साथ ही आय, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है। जो व्यक्ति पूरे मन से गणाधिप चतुर्थी का व्रत करता है, उसके कार्यों में कभी कोई रुकावट नहीं आती। ऐसे में आइए जानते हैं गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

कब है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2025? 

वैदिक पंचांग के अनुसार, अगहन माह यानी मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 8 नवंबर 2025 को सुबह 7 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी, जो 9 नवंबर 2025 को सुबह 4 बजकर 25 मिनट पर तक जारी रहेगी। परंपरा के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा उसी दिन की जाती है, जब चंद्रोदय के समय चतुर्थी तिथि विद्यमान रहती है। इस आधार पर गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत 8 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। 

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त 

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना और व्रत के बाद चंद्र दर्शन करने का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष चंद्र दर्शन का समय 8 नवंबर को संध्याकाल 8 बजकर 1 मिनट पर रहेगा, जब भक्त गणेश जी की आराधना पूर्ण कर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करेंगे।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे ये शुभ योग 

ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो इस वर्ष गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का पर्व अत्यंत शुभ संयोगों में मनाया जाएगा। इस दिन शिव योग और सिद्ध योग जैसे दो विशेष और मंगलकारी योग बन रहे हैं। साथ ही भद्रावास और शिववास योग का भी निर्माण होगा, जो इस दिन की पवित्रता और फलप्रदता को और बढ़ा देता है। ज्योतिषियों के अनुसार, इन शुभ योगों में भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने पर साधक की हर मनोकामना पूर्ण होती है, जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इन योगों में एकदन्त गणपति की आराधना करते हैं, उन पर बप्पा की विशेष कृपा बरसती है और उनके जीवन में सफलता एवं समृद्धि के मार्ग खुलते हैं।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

पूजा सामग्री

  • भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र
  • पूजा की चौकी और स्वच्छ आसन
  • जल, गंगाजल और पंचामृत
  • फूल (विशेष रूप से लाल और पीले रंग के)
  • दूर्वा (तीन पत्तियों वाली घास)
  • पीला चंदन या हल्दी
  • मौसमी फल और मोदक (भोग के लिए)
  • दीपक, अगरबत्ती और कपूर
  • लाल या पीला वस्त्र (गणेश जी के लिए)
  • कथा पुस्तक या संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

पूजा विधि

  • प्रातःकाल स्नान करें और गणेश जी का ध्यान करें।
  • प्रदोषकाल (संध्याकाल) में दोबारा स्नान कर पूजा स्थल को स्वच्छ करें।
  • चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • गणेश जी का जल या पंचामृत से अभिषेक करें।
  • भगवान को फूल, दूर्वा, पीला चंदन और मौसमी फल अर्पित करें।
  • मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।
  • ‘ऊं गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें और गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की कथा सुनें या सुनाएं।
  • पूरी श्रद्धा से गणेश जी की आरती करें।
  • रात में चंद्र दर्शन कर उन्हें अर्घ्य अर्पित करें और व्रत का पारण करें।

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