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उपांग ललिता व्रत कथा

उपांग ललिता व्रत कथा

Upang Lalita Vrat Katha: देवी ललिता ने किया था राक्षस भंडा का वध, यहां जानिए उपांग ललिता की कथा 

हिंदू धर्म में देवी की पूजा को बहुत शुभ माना जाता है और नवरात्रि का प्रत्येक दिन एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पंचमी उनमें से एक है जब उपांग ललिता व्रत मनाया जाता है, जिसे उपांग पंचमी भी कहते हैं। इस दिन दस महाविद्याओं में से एक देवी ललिता की पूजा की जाती है, जो सौंदर्य, करुणा और शक्ति का प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि ललिता व्रत की पूजा और पाठ करने से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है तथा कष्टों से मुक्ति मिलती है।

देवताओं ने की थी देवी ललिता की प्रार्थना 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव क्रोधित हो गए और क्रोध से कामदेव को भस्म कर दिया, उस समय कामदेव की राख से एक राक्षस पैदा हुआ। जिसका नाम भण्डासुर रखा गया और उसने देवताओं को पराजित कर स्वर्गलोक पर अधिकार कर लिया। इससे डर कर सभी देवताओं ने मां ललिता की प्रार्थना की। तब देवी ललिता प्रकट हुईं तथा और उन्होंने भंडासुर का वध कर देवताओं को पुनः उनके अधिकार दिलाए। 

इसी उपलक्ष्य में हर साल शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि को यह त्यौहार मनाया जाता है। यह व्रत केवल भौतिक सुख-संपन्नता का साधन नहीं, बल्कि यह भक्तों के आध्यात्मिक जीवन को भी सशक्त बनाता है। 

ललिता व्रत कथा से होता है आर्थिक संकटों का अंत

  • आध्यात्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि उपांग ललिता व्रत करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। 
  • माता ललिता के दर्शन और पूजन से जीवन के दुख-दर्द दूर होते हैं और सारी बाधाएं भी समाप्त हो जाती हैं।
  • शारदिये नवरात्रि की पंचमी तिथि पर उपांग ललिता व्रत की कथा पढ़ने से माता का आशीर्वाद मिलता है, जो जीवन को उज्ज्वल बनाता है।
  • ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यह व्रत आर्थिक संकटों से निजात पाने और धन के आगमन को बढ़ाने में भी मदद करता है।

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