Aaj Ka Panchang 11 June 2025: आज 11 जून 2025 को ज्येष्ठ माह का 30वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष तिथि पूर्णिमा है। आज बुधवार का दिन है। सूर्य देव वृषभ राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश करेंगे। आपको बता दें, आज बुधवार के दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है। इस दिन राहुकाल 12:21 पी एम से 02:05 पी एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो गणेश जी को समर्पित होता है। आज ज्येष्ठ पूर्णिमा और कबीर दास जयंती के साथ अन्वाधान और वैवस्वत मन्वादि का योग है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 10 जून, 11:35 एएम से
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि समाप्त- 01:13 पी एम तक
ज्येष्ठ पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अंतिम तिथि होती है, जो धार्मिक और स्नान-दान की दृष्टि से अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, सत्यनारायण व्रत और दान का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान और पूजा कई गुना फल देती है। सूर्य और चंद्रमा दोनों की प्रभावी स्थिति इसे विशेष बनाती है। उपाय के रूप में इस दिन शीतल जल से शिवलिंग का अभिषेक करें, पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें और गरीबों को छाता, पानी की बोतल या शरबत का दान करें।
कबीर दास जयंती संत कबीर की स्मृति में मनाई जाती है, जो समाज सुधारक, आध्यात्मिक कवि और निर्गुण भक्ति के समर्थक थे। उन्होंने जात-पात, कर्मकांड और अंधविश्वास का विरोध करते हुए एक ईश्वर की भक्ति पर जोर दिया। उनकी वाणी "साखी" और "दोहे" आज भी मार्गदर्शन करती हैं। इस दिन उनके उपदेशों को पढ़ना, किसी सत्संग में भाग लेना और गरीबों को अन्न-वस्त्र दान देना पुण्यकारी माना जाता है। उपाय स्वरूप – घर में कबीर वाणी का पाठ करें और अहंकार, क्रोध व द्वेष को त्यागने का संकल्प लें।
अन्वाधान श्राद्ध पक्ष की विशेष तिथि होती है, जो वट सावित्री व्रत और पूर्णिमा के अगले दिन आती है। इसे विशेषकर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करने का अवसर माना जाता है। यह तिथि पितृऋण से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है। इस दिन जल से भरे कलश, तिल, पुष्प और गाय को अन्न अर्पित करना पितरों को प्रसन्न करता है। उपाय के तौर पर – ब्राह्मणों को भोजन कराएं, पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और पितृ सूक्त का पाठ करें।
हिन्दू धर्म में "मन्वंतर" कालखंडों का उल्लेख है, जिसमें हर मन्वंतर का संचालन एक "मनु" करते हैं। वैवस्वत मन्वंतर वर्तमान का सातवां मन्वंतर है, जिसके अधिपति वैवस्वत मनु हैं। यह तिथि प्रतीक है नवचेतना, धर्म की पुनर्स्थापना और जीवन में संतुलन की पुनः स्थापना की। इस दिन ब्रह्मा, विष्णु और मनु की पूजा करके जीवन में नए आरंभ और संतुलन की कामना की जाती है। उपाय के रूप में – ध्यान और जप करें, सूर्य को अर्घ्य दें और सत्य, शील व संयम का पालन करने का संकल्प लें।
सनातन धर्म में हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा को रथ महोत्सव और गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है।
हनुमान जी का जन्मोत्सव हर वर्ष चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। अभिजीत मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी को गणपति जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संपूर्ण विधि-विधान के साथ घर में एक दिन, दो दिन, तीन दिन या फिर 9 दिनों के लिए गणेश जी की स्थापना की जाती है।
गणेश चतुर्थी की शुरुआत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और यह पर्व चतुर्दशी तिथि को समाप्त होता है। यह 10 दिनों तक चलने वाला भव्य उत्सव होता है।