Aaj Ka Panchang 20 June 2025: आज 20 जून 2025 को आषाढ़ माह का नौवां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष तिथि नवमी है। आज शुक्रवार का दिन है। सूर्य मिथुन राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा मीन से मेष राशि में प्रवेश करेंगे। आपको बता दें, आज शुक्रवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:55 ए एम से 12:51 पी एम तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 10:38 ए एम से 12:23 पी एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। आज सर्वार्थसिद्धि के साथ अमृत सिद्धि योग भी है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
आषाढ़ कृष्ण पक्ष नवमी तिथि प्रारंभ - 11:55 ए एम से, 19 जून
आषाढ़ कृष्ण पक्ष नवमी तिथि समाप्त - 09:49 ए एम तक
अमृतसिद्धि योग को अत्यंत शुभ और सिद्धि प्रदान करने वाला योग माना गया है। यह योग जब किसी विशेष तिथि और नक्षत्र के संयोग से बनता है, तब उसका प्रभाव और भी अधिक फलदायक हो जाता है। इस योग में आरंभ किए गए कार्यों में अमृत तुल्य सफलता और दीर्घकालिक लाभ की संभावना रहती है। विशेष रूप से व्यापार, नया मकान, वाहन खरीद, नौकरी शुरू करना या विवाह जैसे कार्यों के लिए यह योग अत्यंत लाभकारी है। इस दिन प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु या शिव का पूजन करें, पीले या सफेद वस्त्र पहनें और मीठा भोजन बनाकर ब्राह्मण या गरीबों को अर्पण करें। साथ ही, अपने कार्य का संकल्प लेकर शुभ मुहूर्त में शुरुआत करें, जिससे सफलता सुनिश्चित हो सके।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने आने वाली मासिक कार्तिगाई तिथि का विशेष धार्मिक महत्व होता है। विशेष रूप से दक्षिण भारत में यह पर्व अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
हिंदू पंचांग में कुछ दिन विशेष संयोग और त्योहारों के कारण अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस साल 26 मई भी ऐसा ही एक दिन है, जब एक नहीं बल्कि चार बड़े धार्मिक पर्व एक साथ पड़ रहे हैं।
शनि जयंती, भगवान शनि देव के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जो जीवन में शनि दोष या साढ़े साती जैसी स्थितियों से मुक्ति कामना करते हैं।
शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।