Logo

विनायक चतुर्थी 2025 में कब-कब पड़ेंगी?

विनायक चतुर्थी 2025 में कब-कब पड़ेंगी?

Vinayak Chaturthi List 2025 : साल 2025 में कब-कब पड़ेंगी विनायक चतुर्थी? जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि 


विनायक चतुर्थी एक अत्यधिक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर महीने में दो बार आता है जिसमें शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। जिससे भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। भाद्रपद महीने में पड़ने वाली विनाक चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था और इसे भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसे वरद चतुर्थी और गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी के महत्व, पूजा विधि और 2025 में इसकी तिथियों के बारे में।

विनायक चतुर्थी महत्व 


गणपति की कृपा से जीवन में अनेक लाभ होते हैं जिनमें बल-बुद्धि की प्राप्ति और सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद शामिल है। गणपति की कृपा से व्यक्ति के सारे कार्य सिद्ध होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके अलावा गणपति की कृपा से जीवन में आने वाली परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। विनायक चतुर्थी गणपति के विनायक रूप को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिन है जिस दिन व्रत और पूजन करने से गणपति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह गणपति की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक अवसर है।

विनायक चतुर्थी 2025 लिस्ट


  • 3 जनवरी 2025 - पौष विनायक चतुर्थी
  • 1 फरवरी 2025 - माघ विनायक चतुर्थी (गणेश जयंती)
  • 3 मार्च 2025 - फाल्गुन विनायक चतुर्थी
  • 1 अप्रैल 2025 - चैत्र विनायक चतुर्थी
  • 1 मई 2025 - वैशाख विनायक चतुर्थी
  • 30 मई 2025 - ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी
  • 28 जून 2025 - आषाढ़ विनायक चतुर्थी
  • 28 जुलाई 2025 - सावन विनायक चतुर्थी
  • 27 अगस्त 2025 - भाद्रपद विनायक चतुर्थी (गणेश चतुर्थी)
  • 25 सितंबर 2025 - अश्विन विनायक चतुर्थी
  • 25 अक्टूबर 2025 - कार्तिक विनायक चतुर्थी
  • 24 नवंबर 2025 - मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी
  • 24 दिसंबर 2025 - पौष विनायक चतुर्थी

विनायक चतुर्थी पर व्रत पूजा की विधि


सामग्री


  • पुष्प
  • धूप
  • चंदन
  • मिठाई
  • फल
  • पान का पत्ता
  • मोदक
  • दीप
  • धूपबत्ती

विधि


  1. सुबह की तैयारी: सुबह उठकर सभी कामों से निवृत होकर स्नान करें।
  2. पूजा की तैयारी: घर या मंदिर में भगवान गणेश जी की पूजा करने के लिए साफ कपड़े पहनें।
  3. पूजा का आरंभ: पूजा शुरु करते हुए साधक को गणेश मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
  4. पूजा में चढ़ावा: पूजा में पुष्प, धूप, चंदन, मिठाई, फल, और पान का पत्ता इत्यादि चढ़ाएं।
  5. भगवान गणेश को भोग: भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक का भोग लगाएं।
  6. मंत्र जाप: ‘ओम सिद्धिविनायकाय नम:’, ‘ओम गं गणपतये नम:’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
  7. धूप दीप और आरती: धूप दीप जलाकर भगवान गणेश की कथा का पाठ करें और आरती करें।
  8. शाम की पूजा: शाम के समय दोबारा गणेश भगवान की पूजा करें।
  9. प्रसाद बांटना: प्रसाद बांटें और फलाहार करें।
  10. व्रत पूरा करना: अगले दिन व्रत पूरा करें।

गणपति पूजा मंत्र


प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम्।
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय।।
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम्।
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।।

स्थान आधारित तिथि 


विनायक चतुर्थी के उपवास की तिथि को समझना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दो अलग-अलग शहरों में अलग-अलग हो सकती है। यह जरूरी नहीं है कि दोनों शहर अलग-अलग देशों में हों क्योंकि भारत में भी दो अलग-अलग शहरों में विनायक चतुर्थी की तिथि अलग-अलग हो सकती है। 

विनायक चतुर्थी के उपवास की तिथि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर निर्भर करती है और जिस दिन मध्याह्न काल में चतुर्थी तिथि प्रबल होती है उस दिन विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसलिए कभी-कभी विनायक चतुर्थी का व्रत चतुर्थी तिथि से एक दिन पहले तृतीया तिथि के दिन पड़ जाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मध्याह्न काल सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है जो सभी शहरों में अलग-अलग होता है। इसलिए विनायक चतुर्थी के व्रत की तालिका को बनाने के लिए शहर की भूगोलिक स्थिति को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है।

........................................................................................................
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें चालीसा पाठ

मार्गशीर्ष पूर्णिमा इस वर्ष 15 दिसंबर को मनाई जा रही है। यह पर्व हिन्दू धर्म में लक्ष्मीनारायण की पूजा का एक पवित्र और शुभ अवसर है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर कैसे करें तर्पण

मार्गशीर्ष माह भगवान कृष्ण, जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। ऐसे में इस माह में जो पूर्णिमा तिथि आती है।

इन 4 राशियों के लिए खास मार्गशीर्ष पूर्णिमा

साल 2024 की आखिरी पूर्णिमा मार्गशीर्ष पूर्णिमा है, जो 15 दिसंबर को पड़ रही है। यह पूर्णिमा तिथि लक्ष्मीनारायण की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित है और इसके शुभ प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति होती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब मनाई जा रही

सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, और मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को साल की आखिरी पूर्णिमा तिथि होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang