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22 June 2025 Panchang (22 जून 2025 का पंचांग)

22 June 2025 Panchang (22 जून 2025 का पंचांग)

Aaj Ka Panchang: आज 22 जून 2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह

Aaj Ka Panchang 22 June 2025: आज 22 जून 2025 को आषाढ़ माह का चौथा दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष तिथि द्वादशी है। आज रविवार का दिन है। सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा मेष से वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। आपको बता दें, आज रविवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:55 ए एम से 12:51 पी एम तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 05:38 पी एम से 07:22 पी एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो ग्रहों के राजा सूर्य देव को समर्पित होता है। आज मासिक कार्तिगाई, गौण योगनी एकादशी, वैष्णव योगिनी एकादशी का योग है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है। 

आज का पंचांग 22 जून 2025

  • तिथि - आषाढ़ कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि  
  • नक्षत्र - मृगशिरा और आर्द्रा
  • दिन/वार - रविवार
  • योग - सुकर्मा और धृत्ति
  • करण - कौलव, तैतिल और गर   

आषाढ़ कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि प्रारंभ - 07:18 ए एम तक, 21 जून से 

आषाढ़ कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि समाप्त - 01:21 ए एम, जून 23 तक

सूर्य-चंद्र गोचर

  • सूर्य - सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे।  
  • चंद्र - चंद्रमा मेष राशि (11:03 पीएम) से वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। 

सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त

  • सूर्योदय - 05:24 ए एम
  • सूर्यास्त - 07:22 पी एम
  • चन्द्रोदय - 02:53 ए एम, जून 23
  • चन्द्रास्त - 04:14 पी एम

आज का शुभ मुहूर्त और योग 22 जून 2025

  • त्रिपुष्कर योग - 05:38 पी एम से 01:21 ए एम, जून 23
  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:04 ए एम से 04:44 ए एम
  • अभिजीत मुहूर्त - 11:55 ए एम से 12:51 पी एम 
  • अमृत काल - 01:16 पी एम से 02:44 पी एम
  • विजय मुहूर्त - 02:43 पी एम से 03:39 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त - 07:21 पी एम से 07:41 पी एम
  • संध्या मुहूर्त - 07:22 पी एम से 08:22 पी एम

आज का अशुभ मुहूर्त 22 जून 2025

  • राहु काल - 05:38 पी एम से 07:22 पी एम
  • गुलिक काल - 03:53 पी एम से 05:38 पी एम
  • यमगण्ड - 12:23 पी एम से 02:08 पी एम 
  • दिशाशूल - पश्चिम, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
  • वर्ज्य - 04:27 ए एम, जून 23 से 05:54 ए एम, जून 23
  • विडाल योग - नहीं है 
  • आडल योग - नहीं है  

22 जून 2025 पर्व/त्योहार/व्रत

  • रविवार का व्रत - आज आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो ग्रहों के राजा सूर्य देव को समर्पित है। 
  • रविवार के उपाय - रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने, तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें लाल फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देने से विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने, सूर्य देव के मंत्र "ऊं सूर्याय नमः" या "ऊं घृणि सूर्याय नमः" का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है। रविवार के दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है। इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है।

आज के पंचाग का महत्व और उपाय 

जब मासिक कार्तिगाई, गौण योगिनी एकादशी और वैष्णव योगिनी एकादशी एक ही दिन पड़ते हैं, तो वह तिथि अत्यंत पुण्यदायी और दुर्लभ मानी जाती है। इन तीनों का संयोग आध्यात्मिक उन्नति, पापक्षय और दिव्य फल की प्राप्ति के लिए अत्यंत शक्तिशाली योग बनाता है। मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारत में विशेष रूप से पूजन योग्य होती है, यह दिन भगवान शिव और कार्तिकेय को समर्पित होता है। दीप प्रज्वलन और उपवास से दोषों की शांति और शुभता बढ़ती है।

गौण योगिनी एकादशी भले ही द्वितीय श्रेणी की मानी जाती हो, लेकिन इसका व्रत रखने पर भी व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से यह व्रत रोग, दरिद्रता और मानसिक क्लेशों को हरता है। वैष्णव योगिनी एकादशी श्रीविष्णु भक्ति का पर्व है। इसका व्रत मोक्षदायी और समस्त पापों का नाशक माना गया है। यह व्रत विष्णु भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, और उनके जीवन में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य लाता है।

इन तीनों का एक साथ आना एक दुर्लभ संयोग होता है, जिसमें उपवास, दान, दीपदान, विष्णु-स्मरण और शिव पूजन विशेष फलदायक सिद्ध होते हैं। इस दिन एकाग्रता से पूजा, व्रत और मंत्र जाप करने से सौभाग्य, आरोग्य और आध्यात्मिक सिद्धि की प्राप्ति होती है।

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अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्

सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये ,
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते।

सत्यनारायण पूजन विधि (Satyanarayan Puja Vidhi)

व्रत करने वाला पूर्णिमा व संक्रान्ति के दिन सायंकाल को स्नानादि से निवृत होकर पूजा-स्थान में आसन पर बैठ कर श्रद्धा पूर्वक गौरी, गणेश, वरूण, विष्णु आदि सब देवताओं का ध्यान करके पूजन करें और संकल्प करें कि मैं सत्यनारायण स्वामी का पूजन तथा कथा-श्रवण सदैव करूंगा ।

दीपावली पूजन विधि

भगवती महालक्ष्मी चल एवं अचल, दृश्य एवं अदृश्य सभी सम्पत्तियों, सिद्धियों एवं निधियों की अधिष्ठात्री साक्षात् नारायणी हैं।

आरती अन्नपूर्णा माता जी की (Aarti Annapurna Mata Ji Ki)

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,कहां उसे विश्राम।

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