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25 June 2025 Panchang (25 जून 2025 का पंचांग)

25 June 2025 Panchang (25 जून 2025 का पंचांग)

Aaj Ka Panchang: आज 25 जून 2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह

Aaj Ka Panchang 25 June 2025: आज 25 जून 2025 को आषाढ़ माह का सातवां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष तिथि अमावस्या है। आज बुधवार का दिन है। सूर्य देव मिथुन राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा मिथुन राशि में रहेंगे। आपको बता दें, आज बुधवार के दिन कोई अभिजीत मुहूर्त नहीं है। इस दिन राहुकाल 12:24 पी एम से 02:09 पी एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो गणेश जी को समर्पित होता है। इस दिन दर्श अमावस्या, अन्वाधान, आषाढ़ अमावस्या का भी योग है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है। 

आज का पंचांग 25 जून 2025

  • तिथि - अमावस्या
  • नक्षत्र - आर्द्रा
  • दिन/वार - बुधवार
  • योग - गण्ड, वृद्धि और ध्रुव
  • करण - चतुष्पाद, नाग, किस्तुघ्न और बव 

आषाढ़ कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि प्रारंभ - 06:59 पी एम से, 24 जून

आषाढ़ कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि समाप्त - 01:34 पी एम तक

सूर्य-चंद्र गोचर

  • सूर्य - मिथुन
  • चंद्र - मिथुन

सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त

  • सूर्योदय - 05:25 ए एम
  • सूर्यास्त - 07:23 पी एम
  • चन्द्रोदय - चन्द्रोदय नहीं 
  • चन्द्रास्त - 07:42 पी एम 

आज का शुभ मुहूर्त और योग 25 जून 2025

  • सर्वार्थसिद्धि योग - 05:25 ए एम से 10:40 ए एम
  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:05 ए एम से 04:45 ए एम
  • अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं। 
  • अमृत काल - 11:34 पी एम से 01:02 ए एम, जून 26
  • विजय मुहूर्त - 02:43 पी एम से 03:39 पी एम 
  • गोधूलि मुहूर्त - 07:21 पी एम से 07:42 पी एम
  • संध्या मुहूर्त - 07:23 पी एम से 08:23 पी एम

आज का अशुभ मुहूर्त 25 जून 2025

  • राहु काल - 12:24 पी एम से 02:09 पी एम
  • गुलिक काल - 10:39 ए एम से 12:24 पी एम
  • यमगंड - 07:10 ए एम से 08:54 ए एम
  • दिशाशूल - उत्तर, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
  • वर्ज्य - 06:24 पी एम से 07:53 पी एम
  • आडल योग - नहीं है 
  • विडाल योग - नहीं है

25 जून 2025 पर्व/त्योहार/व्रत

  • बुधवार का व्रत - आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है। 
  • बुधवार के उपाय - बुधवार के दिन भगवान गणेश और भगवान बुध को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर गणेश मंदिर में जाकर भगवान गणेश की पूजा करें। उन्हें हरी मूंग और दूर्वा चढ़ाएं। इसके अलावा, आप गणेश मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। बुधवार के दिन गणेश एवं बुध की पूजा करने से बुद्धि और विद्या में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है। 

दर्श अमावस्या का महत्व और उपाय

हर मास की अमावस्या तिथि को "दर्श अमावस्या" कहा जाता है, जो पितरों की शांति और आत्मकल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन विशेष रूप से स्नान, ध्यान और पितरों के लिए तर्पण करना पुण्यदायी होता है। दर्श अमावस्या पर सूर्य को जल अर्पित कर आभार प्रकट करना और पुरखों के नाम से अन्न, वस्त्र, तिल एवं जल का दान करना अत्यंत फलदायी माना गया है। उपाय स्वरूप इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर "ॐ नमः भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें और जरूरतमंदों को काले तिल या अन्न दान करें।

अन्वाधान का महत्व और उपाय

अन्वाधान व्रत दरअसल श्राद्ध कर्म के अनुक्रम में किया जाने वाला एक विशेष कर्म होता है, जो पितरों की संतुष्टि और वंश की उन्नति के लिए आवश्यक माना गया है। यह अमावस्या तिथि के अगले दिन यानी प्रतिपदा को किया जाता है, जब व्रती विशेष नियमों के साथ अग्निहोत्र, तर्पण और भोजन विधान करते हैं। यह पितरों की कृपा पाने का अत्यंत प्रभावशाली अवसर होता है। उपाय के रूप में इस दिन घर में सात प्रकार के अनाज से बने खिचड़ी या भोजन को ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को खिलाएं और पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करें।

आषाढ़ अमावस्या का महत्व और उपाय

आषाढ़ मास की अमावस्या को विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह वर्षा ऋतु के प्रारंभ का संकेत देती है और पितृ तर्पण, व्रत, साधना एवं दान के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन गंगा स्नान, पीपल पूजन और श्राद्धकर्म करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। उपाय के रूप में इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करें, पीपल के वृक्ष पर कच्चा दूध अर्पित करें, तथा कौओं, गायों और कुत्तों को भोजन कराएं, जिससे पितृ दोष शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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हे शिव भोले भंडारी(Hey Shiv Bhole Bhandari)

हे शिव भोले भंडारी,
मैं आया शरण तिहारी,

हे गजानन पधारो (Hey Gajanan Padharo)

सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति,
विघ्नहरण सुखपाल जी,

हे गणनायक जय सुखदायक (Hey Gananayak Jai Sukhdayak)

हे गणनायक जय सुखदायक,
जय गणपति गणराज रे,

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