Aaj Ka Panchang 26 May 2025: आज 26 मई 2025 को ज्येष्ठ माह का 13वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष तिथि चतुर्दशी है। आज सोमवार का दिन है। इस तिथि पर शुक्ल योग रहेगा। सूर्य देव वृषभ राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा मकर राशि करेंगे। आपको बता दें, आज सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इस दिन राहुकाल सुबह 7 बजकर 9 मिनट से सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। आज वट सावित्री व्रत के साथ मासिक कार्तिगाई, दर्श अमावस्या और अन्वाधान का भी पर्व है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 25 मई 3 बजकर 51 मिनट से
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि समाप्त - 26 मई 12 बजकर 11 मिनट तक
आज का दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार अत्यंत पुण्यदायी और विशेष है। आज एक साथ चार महत्वपूर्ण पर्व पड़ रहे हैं :
वट सावित्री व्रत
विवाहित स्त्रियों द्वारा पति की दीर्घायु, आरोग्य और सुख-समृद्धि की कामना से किया जाने वाला यह व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। वट अर्थात वटवृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा कर सावित्री और सत्यवान की कथा का श्रवण किया जाता है। वटवृक्ष के चारों ओर कच्चा सूत (धागा) लपेटते हुए परिक्रमा की जाती है।
मासिक कार्तिगाई
यह पर्व विशेष रूप से तमिल संस्कृति में श्रद्धा से मनाया जाता है। प्रत्येक अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व अग्नि और ज्योति के प्रतीक भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) को समर्पित होता है। दीप प्रज्वलन और मंदिरों में विशेष पूजन इसका मुख्य अंग है।
दर्श अमावस्या
हर माह की अमावस्या तिथि को ‘दर्श अमावस्या’ कहा जाता है। यह पितृ कार्य, तर्पण, स्नान-दान और ध्यान-पूजन के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। आज गंगा-स्नान तथा तिल दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
अन्वाधान
श्राद्ध से जुड़ा यह कर्म दर्श अमावस्या के अगले दिन यानी प्रतिपदा को किया जाता है, किंतु जब अमावस्या का उपवास हो और अगले दिन प्रतिपदा सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो जाए, तब अन्वाधान का कर्म भी अमावस्या के दिन ही कर लिया जाता है। इस प्रकार आज ही अन्वाधान करने का विधान है।
इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।
प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एकादशी व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत से पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है।
सीता के राम थे रखवाले,
जब हरण हुआ तब कोई नहीं ॥
हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। हर त्योहार अपनी पौराणिक कथाओं और परंपराओं के कारण अद्वितीय स्थान रखता है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है 'अन्वाधान’, जिसे वैष्णव सम्प्रदाय विशेष रूप से मनाता है।