Aaj Ka Panchang 10 march 2025: पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इस तिथि पर पुष्य नक्षत्र और शोभन योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा कर्क राशि में हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं। आपको बता दें, आज सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त का योग दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 01 मिनट तक है। इस दिन राहुकाल सुबह 08 बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 40 मिनट तक है। आज तिथि के हिसाब से आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा विधिवत रूप से करें। वहीं आज होलाष्टक का चौथा दिन है और आज आमलकी एकादशी का व्रत भी जा रहा है। इस दिन को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज सोमवार के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से भाग्योदय हो सकता है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है और आज के दिन किन मंत्रों का जाप करने से लाभ हो सकता है।
चंद्र का कर्क राशि में गोचर 10 मार्च 2025 को होगा। इस गोचर का सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। चंद्र के कर्क राशि में गोचर से अन्य राशियों पर भी प्रभाव पड़ेगा। कुछ राशियों के लिए यह गोचर शुभ रहेगा, तो कुछ राशियों के लिए अशुभ।
10 मार्च को पुष्य नक्षत्र और शोभन योग का दिव्य संयोग है। इस दिन चंद्रमा कर्क राशि और सूर्य कुंभ राशि में गोचर करते हुए शुभ योग बना रहे हैं। वहीं आज सोमवार का दिन है और इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही आज आमलकी एकादशी का व्रत भी रखा जा रहा है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। साथ ही इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसी से होली का त्योहार भी आरंभ हो जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा भी विधिवत रूप से की जाती है। आज आंवले का दान करें और आंवले के पेड़ की पूजा भी करें।
आज पुष्य नक्षत्र नक्षत्र है, जो कि बहुत ही शुभ नक्षत्र माना जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। आज सोमवार का दिन है। आमलकी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों का नाश होता है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।
महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने वाली है। अब जब भी कुंभ की बात हो, और शाही स्नान की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। कुंभ और शाही स्नान एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
शाही स्नान कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु संत महाकुंभ वाली जगह इकट्ठे होते हैं। इस दौरान सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
अक्षत यानी कि पीले चावल। हिंदू धर्म में अक्षत को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इसे पूजा-पाठ में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। बिना खंडित हुए चावल को अक्षत कहते हैं। यह पूजा में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पवित्रता, समृद्धि और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ अक्षत के बिना अधूरा माना जाता है। यह पूजा का विशेष सामग्री है।
हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं। इनमें से एक प्रमुख उपाय है शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाना है।