अष्टमी-नवमी एक ही दिन क्यों पड़ेगी

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि में एक ही दिन पड़ेगी अष्टमी और नवमी, जानें कारण और महत्व


चैत्र नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इन दिनों में विशेष पूजा, उपवास और साधना करने से भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। विशेष रूप से सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथियों का अत्यधिक महत्व होता है, क्योंकि इन दिनों में मां दुर्गा के विशेष स्वरूपों की पूजा की जाती है।

2025 की चैत्र नवरात्रि में एक अद्भुत संयोग बन रहा है। इस साल महाष्टमी और महानवमी दोनों 6 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएंगी। यह दुर्लभ संयोग ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार बन रहा है। आमतौर पर अष्टमी और नवमी अलग-अलग दिनों में पड़ती हैं, लेकिन इस बार तिथियों के घट-बढ़ के कारण यह दोनों पर्व एक ही दिन मनाए जाएंगे।


अष्टमी और नवमी एक ही दिन क्यों पड़ रही हैं?


हिंदू पंचांग के अनुसार तिथियों की गणना चंद्रमा की गति के आधार पर होती है। इस बार चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि 4 अप्रैल की रात 8:12 बजे से 5 अप्रैल की रात 7:26 बजे तक रहेगी। वहीं, नवमी तिथि 5 अप्रैल की रात 7:26 बजे से 6 अप्रैल की रात 7:22 बजे तक होगी। इस प्रकार, 6 अप्रैल को सूर्योदय के समय नवमी तिथि प्रभावी होगी, जिसके कारण इसी दिन महानवमी का पर्व भी मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, जब किसी तिथि का मान घटता है और वह सूर्योदय के बाद अगले दिन तक जारी नहीं रहती, तो उसे पिछले दिन ही मान लिया जाता है। इसी वजह से इस बार नवरात्रि की अष्टमी और नवमी दोनों 6 अप्रैल को मनाई जाएंगी।


पूजा विधि और शुभ मुहूर्त


अष्टमी और नवमी के दिन विशेष रूप से कन्या पूजन और हवन का अत्यधिक महत्व होता है। इन दिनों में मां दुर्गा की पूजा विधि इस प्रकार है—


अष्टमी पूजा (5 अप्रैल 2025, शनिवार)


  • देवी महागौरी की विशेष पूजा करें।
  • दुर्गा सप्तशती या देवी महात्म्य का पाठ करें।
  • संधि पूजा का शुभ मुहूर्त – रात 07:02 से 07:50 तक।
  • कन्या पूजन करें और उन्हें भोजन कराकर आशीर्वाद प्राप्त करें।


महानवमी पूजा (6 अप्रैल 2025, रविवार)


  • मां सिद्धिदात्री की आराधना करें।
  • राम नवमी भी इसी दिन मनाई जाएगी, अतः भगवान श्रीराम की पूजा करें।
  • नवग्रह हवन करें और घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें।
  • राम नवमी का मध्याह्न मुहूर्त – सुबह 11:08 से दोपहर 1:39 तक।


अष्टमी-नवमी के नियम और महत्व


चैत्र नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन विशेष नियमों का पालन किया जाता है, ताकि साधकों को अधिक लाभ मिल सके।

नियम:


  • इन दिनों में तामसिक भोजन (मांस, प्याज, लहसुन) से बचना चाहिए।
  • व्रतधारी अनाज के सेवन से परहेज करें और फलाहार करें।
  • शराब, तंबाकू और नशीले पदार्थों से पूरी तरह दूर रहें।
  • दोपहर में सोने से बचें और मां दुर्गा का ध्यान करें।
  • कन्या पूजन करें और व्रत का समापन नवमी के दिन हवन के साथ करें।


महत्व:


  • अष्टमी को मां महागौरी की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
  • नवमी पर मां सिद्धिदात्री की उपासना से सिद्धि और सफलता प्राप्त होती है।
  • कन्या पूजन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 

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