देव दिवाली पितृ कृपा

देव दीपावली पर इन उपायों को करने से प्राप्त होगी देवताओं और पितरों की कृपा 


देव दिवाली, जो कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर मनायी जाती है, भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसके उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी। इसलिए इसे देव दीवाली कहा जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और भारत में मुख्य रूप से काशी के गंगा नदी के तट पर मनाया जाता है।


इस वर्ष 15 नवंबर 2024 को देव दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन स्नान, दान और पूजा करने से पितरों की कृपा और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन महादेव और भगवान विष्णु की विधि अनुसार पूजा करने से साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और मन से डर-भय समाप्त होते हैं। देव दिवाली के दिन कुछ विशेष उपाय करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और भक्तों पर ईश्वर और पितरों की कृपा होती है। आइए इन उपायों के बारे में जानते हैं। 


देव दिवाली के दिन के शुभ योग


पंचांग के अनुसार इस साल देव दिवाली पर इन व्यातीपात और वरीयान योग बन रहा है। साथ ही इस दिन भरणी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। ऐसे में कुछ खास उपाय करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। 



देव दिवाली पर इस आसान उपाय से सुख-समृद्धि प्राप्त करें


1. आटे और मिट्टी के दीये जलाएं और 7 लौंग रखें लाभ- सुख-समृद्धि का वास होता है।

2. तुलसी की 11 पत्तियों को धागे में पिरो कर माला बनाएं और भगवान विष्णु को अर्पित करें लाभ- जीवन में चल रही परेशानियां दूर होती हैं। 

3. घर की साफ-सफाई करें, मुख्य द्वार की स्वच्छता का ध्यान रखें लाभ-आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है। 

4. तोरण लगाएं, रंगोली बनाएं और घर में गंगाजल का छिड़काव करें लाभ- दरिद्रता दूर होती है।

5. शाम को मुख्य द्वार और घर में घी के दीप जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा करें लाभ- आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है।

6. गंगा स्नान करें और दीपदान करें लाभ- देवताओं और पितरों की कृपा प्राप्त होती है। 

7. भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें लाभ- मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। 


डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।