भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गौरी पुत्र गणेश का जन्म हुआ था। हर साल इसी तिथि पर गणेश जी पृथ्वी पर भक्तों के बीच विराजमान होते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन गणेश उत्सव की शुरुआत होती है, और अनंत चतुर्दशी के दिन इस पर्व का समापन होता है।
इस दौरान लोग अपने घरों में गणपति जी की स्थापना करते हैं और विधि-विधान से नौ दिनों तक उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। 10 दिनों तक गणपति की सेवा और पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नए साल 2025 में कुल 25 चतुर्थी व्रत होंगे। चतुर्थी तिथि के अधिपति देव भगवान गणेश हैं। इस दिन व्रत रखकर गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है, जिसमें रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है। वहीं, हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है, लेकिन इस दिन चंद्रमा के दर्शन वर्जित होते हैं, क्योंकि मान्यता है कि चंद्र दर्शन से मिथ्या कलंक लग सकता है।
चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 30 मार्च से होगा और 7 अप्रैल को इसका समापन होगा। यह नौ दिनों का पर्व न केवल भक्ति और साधना के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि धन-लाभ और आर्थिक वृद्धि के लिए भी बेहद प्रभावी माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का विशेष महत्व होता है। भक्त पूरे श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं और देवी मां को प्रसन्न करने के लिए अनेक उपाय अपनाते हैं।
सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से 6 अप्रैल 2025 तक मनाई जाएगी।
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस पर्व में माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त पूरे विधि-विधान से व्रत रखते हैं। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से प्रारंभ होकर 6 अप्रैल 2025 को समाप्त होगी।