सनातन धर्म में शुभ कार्यों की शुरुआत करने से पहले शुभ तिथि और मुहूर्त का महत्व बहुत अधिक है। यह मान्यता है कि शुभ तिथि और मुहूर्त में किया गया कार्य अवश्य सफल होता है। इसलिए अधिकतर लोग गृह प्रवेश से पहले शुभ तिथि और मुहूर्त का ख्याल जरूर रखते हैं। गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त और नक्षत्र का चयन करने से आपके नए घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास हो सकता है। तो अगर आप भी नए साल में गृह प्रवेश करना चाहते हैं, तो इस लेख में हम आपको जुलाई 2025 में गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त के बारे में बताएंगे, साथ ही इसका महत्व भी जानेंगे।
हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है, जो भगवान विष्णु की योगनिद्रा की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन से चातुर्मास की शुरुआत होती है, जो लगभग चार महीने तक चलती है। इस अवधि में मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है, जिसमें गृह प्रवेश जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी शामिल हैं। साल 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को पड़ रही है।
वर्ष 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को पड़ रही है। इसके अलावा, गुरु ग्रह 12 जून से 9 जुलाई तक अस्त रहेंगे, जो विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल नहीं है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह के लिए शुक्र और गुरु का उदय होना बहुत जरूरी है। इस अवधि में इन ग्रहों की स्थिति गृह प्रवेश के लिए उपयुक्त नहीं है।
हिंदू धर्म में गृह प्रवेश को एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। इस अनुष्ठान को करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। अप्रैल 2025 में एकमात्र गृह प्रवेश मुहूर्त होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
गृह प्रवेश एक शुभ अवसर है जो हमारे जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। यह एक ऐसा समय होता है जब हम अपने नए घर में प्रवेश करते हैं और एक नए जीवन की शुरुआत करते हैं। वास्तु शास्त्रों के अनुसार, कोई भी नया या शुभ कार्य हमेशा एक विशेष शुभ समय में ही करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होता है कि ग्रह परिवर्तन, नक्षत्र और अन्य कारकों के प्रभाव के कारण कार्य बिना किसी बाधा के पूरा हो जाएगा। गृह प्रवेश पूजा परिवार के सदस्यों के लिए बहुत महत्व रखती है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा को करने से नए घर और पूरे परिवार में लंबे समय तक खुशी, सद्भाव और समृद्धि आती है। इसके अतिरिक्त, यह अनुष्ठान सभी नकारात्मक और प्रतिकूल ऊर्जाओं को दूर करते हुए नए निवास में दिव्य और आध्यात्मिक आशीर्वाद को आमंत्रित करता है। वैदिक ज्योतिष इस पूजा के लिए शुभ तिथियां और समय निर्धारित करने के लिए ज्योतिषीय चार्ट का उपयोग करते हैं। शुभ क्षण की गणना करते समय विभिन्न कारकों पर विचार किया जाता है, जिसमें नक्षत्र सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
भभूती रमाये बाबा भोले नाथ आए,
भोले नाथ आए बाबा डमरू बजाए,
भादी मावस है आई,
भक्ता मिल ज्योत जगाई,
भक्तों के घर कभी,
आजा शेरावाली,
भक्तो के घर कभी आओ माँ,
आओ माँ आओ माँ आओ माँ,