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कर्णवेध संस्कार शुभ मुहूर्त जुलाई 2025

कर्णवेध संस्कार शुभ मुहूर्त जुलाई 2025

July 2025 karnavedha Muhurat: जुलाई 2025 में कर रहे हैं कर्णवेध संस्कार या कान छेदन प्लान? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र

हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सही समय और शुभ मुहूर्त में यह संस्कार करने से बच्चे के जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कर्णवेध संस्कार इसलिए किया जाता है, ताकि बच्चे की सुनने की क्षमता विकसित हो और वह स्वस्थ जीवन जी सके। इसके अलावा कर्णवेध संस्कार के शुभ मुहूर्त का चुनाव करना बच्चे के सौंदर्य, बुद्धिमत्ता और सुनने की क्षमता को बढ़ाने में सहायक माना गया है।

हिंदू धर्म के अनुसार, जब भी लड़के का कर्णवेध संस्कार होता है, तो उसके दाएं कान को छेदने की परंपरा है जबकि लड़की के कर्णवेध संस्कार में पहले बायां कान छेदने की परंपरा है। सिर्फ इतना ही नहीं, कर्णवेध संस्कार से जुड़ी और भी कई विशेष जानकारियां हैं, जिन्हें जानना जरूरी है। इस लेख के माध्यम से हम ये सभी बातें जानेंगे, साथ ही जुलाई 2025 में कर्णवेध के शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानेंगे।

जुलाई 2025 में कर्णवेध संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, जुलाई 2025 में 2,3,7,12,13,17,18,25,30 और 31- ये तारीखें कर्णवेध संस्कार के लिए विशेष रूप से शुभ मानी गई हैं। इसके अलावा भी कई शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं- 

1. 2 जुलाई, बुधवार

- समय: सुबह 11:42 से दोपहर 01:59 तक

- नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी

2. 3 जुलाई, गुरुवार

- समय: सुबह 07:01 से दोपहर 01:55 तक

- नक्षत्र: हस्त

3. 7 जुलाई, सोमवार

- समय: सुबह 06:45 से 09:05 बजे तक, सुबह 11:23 से शाम 06:17 बजे तक

- नक्षत्र: अनुराधा

4. 12 जुलाई, शनिवार

- समय: सुबह 07:06 से दोपहर 01:19 बजे तक, दोपहर 03:39 से रात 08:01 बजे तक

- नक्षत्र: उत्तराषाढ़ा

5. 13 जुलाई, रविवार

- समय: सुबह 07:22 से दोपहर 01:15 तक

- नक्षत्र: श्रवण

6. 17 जुलाई, गुरुवार

- समय: सुबह 10:43 से शाम 05:38 तक

- नक्षत्र: रेवती

7. 18 जुलाई, शुक्रवार

- समय: सुबह 07:17 से 10:39 बजे तक, दोपहर 12:56 से शाम 05:34 बजे तक

- नक्षत्र: अश्विनी

8. 25 जुलाई, शुक्रवार

- समय: सुबह 06:09 से 07:55 तक, सुबह 10:12 से शाम 05:06 तक

- नक्षत्र: पुष्य

9. 30 जुलाई, बुधवार

- समय: सुबह 07:35 से दोपहर 12:09 बजे तक, दोपहर 02:28 से शाम 06:51 बजे तक

- नक्षत्र: हस्त

10. 31 जुलाई, गुरुवार

- समय: सुबह 07:31 से दोपहर 02:24 तक, दोपहर 04:43 से शाम 06:47 तक

- नक्षत्र: चित्रा

कर्णवेध संस्कार का महत्व

कर्णवेध संस्कार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो बच्चे के जीवन में सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए किया जाता है। कुछ स्थानों पर कर्णवेध को "कथु कुथु" भी कहा जाता है, जिसका हिंदी में अर्थ है - कान छिदवाना। यह संस्कार बच्चे की सुंदरता, बुद्धि, और सुनने की क्षमता में वृद्धि करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह संस्कार बच्चे को हर्निया जैसी गंभीर बीमारी से बचाने में मदद करता है और लकवा आदि आने की आशंका को कम करता है। यह संस्कार बच्चे के जीवन में समृद्धि, सुख और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है।

कर्णवेध संस्कार से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • बच्चे के जन्म के महीने में कर्णवेध न करें।
  • कर्णवेध संस्कार सुबह सूर्योदय के बाद और दोपहर से पहले संपन्न करना चाहिए।
  • आप अपने बच्चों के जन्म के बारहवें या 16वें दिन भी कर्णवेध संस्कार करवा सकते हैं।
  • बहुत से लोग बच्चे के जन्म के छठे, सातवें या फिर आठवें महीने में भी यह संस्कार पूरा करवाते हैं।
  • इसके अलावा प्राचीन मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यदि यह संस्कार बच्चों के जन्म के 1 साल के अंदर नहीं किया जाता है, तो फिर इसे विषम वर्ष यानी तीसरे, पांचवें या फिर सातवें वर्ष में करा लेना चाहिए।

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