मार्च 2025 पंचक तिथि

Panchak 2025 Date: मार्च के महीने में कब से शुरू हो रहा है पंचक, जानें इस दौरान क्या नहीं करना चाहिए


हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य या मांगलिक कार्य को शुरू करने से पहले मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर महीने में एक ऐसा समय आता है जो अशुभ माना जाता है? जी हां, हम बात कर रहे हैं पंचक काल के बारे में, जो हर महीने में आता है। इसकी अवधि 5 दिनों की होती है, जिसमें कोई शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए।

मार्च के महीने में पंचक काल कब से शुरू हो रहा है, यह जानना बहुत जरूरी है ताकि आप अपने शुभ कार्यों को सही समय पर कर सकें। तो आइए जानते हैं मार्च 2025 में पंचक काल की तिथि और इस दौरान क्या नहीं करना चाहिए।



पंचक मार्च 2025


मार्च माह में पंचक के दो महत्वपूर्ण चरण होंगे। आइए जानते हैं कि कब से पंचक शुरू होगा और कब तक चलेगा:


पहला पंचक:

  • 27 फरवरी 2025, गुरुवार को शाम 4 बजकर 37 मिनट पर पंचक शुरू होगा।
  • यह 3 मार्च 2025, सोमवार को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगा।


दूसरा पंचक:

  • 26 मार्च 2025, बुधवार को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर पंचक शुरू होगा।
  • यह 30 मार्च 2025, रविवार को शाम 4 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगा।



पंचक में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए?


पंचक के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। आइए जानते हैं कि पंचक में क्या नहीं करना चाहिए:


  • लकड़ी या लकड़ी का सामान घर नहीं लाना चाहिए: पंचक में लकड़ी या लकड़ी का सामान घर लाने से बचना चाहिए।
  • चारपाई बुनवाना वर्जित है: पंचक में चारपाई बुनवाना अशुभ माना जाता है।
  • दक्षिण दिशा की यात्रा वर्जित है: पंचक में दक्षिण दिशा की यात्रा करने से बचना चाहिए।
  • घर को रंगरोगन और पेंट नहीं कराना चाहिए: पंचक में घर को रंगरोगन और पेंट कराने से बचना चाहिए।
  • नए घर का निर्माण नहीं करना चाहिए: पंचक में नए घर का निर्माण करने से बचना चाहिए।
  • विवाह और गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए: पंचक में विवाह और गृह प्रवेश करने से बचना चाहिए।
  • मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए: पंचक में मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए।
  • किसी नए कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए: पंचक में किसी नए कार्य की शुरुआत करने से बचना चाहिए।
  • पैसों का लेन-देन नहीं करना चाहिए: पंचक में पैसों का लेन-देन करने से बचना चाहिए।



'पंचक' कैसे लगता है?


ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, पंचक एक अशुभ समय माना जाता है जो पांच नक्षत्रों के समूह से बनता है। ये पांच नक्षत्र हैं - धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती। जब चंद्रदेव इन नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं, तो यह पूरा चक्र लगभग 5 दिनों में पूरा होता है, जिसे पंचक कहा जाता है।



कितने प्रकार के होते हैं 'पंचक'


  • अग्नि पंचक: अगर पंचक का आरंभ रविवार से होता है, तो उसे अग्नि पंचक कहते हैं। इस दौरान अग्नि से संबंधित दुर्घटनाओं की संभावनाएं बढ़ती हैं।
  • चोर पंचक: सोमवार के दिन लगने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस दौरान चोरी और अन्य अपराधिक गतिविधियों की संभावनाएं बढ़ती हैं।
  • रोग पंचक: मंगलवार के दिन से अगर पंचक काल शुरू हो रहा हो, तो उसे रोग पंचक कहते हैं। इस दौरान बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं की संभावनाएं बढ़ती हैं।
  • राज पंचक: अगर पंचक का साया गुरुवार के दिन से लग रहा है, तो यह राज पंचक होता है। इस दौरान सरकारी और राजनीतिक निर्णय लेने से बचना चाहिए।
  • मृत्यु पंचक: सबसे खतरनाक पंचक मृत्यु पंचक माना जाता है, जो शनिवार के दिन से शुरू होता है। इस पंचक के दौरान मृत्यु जैसी घटनाओं की संभावनाएं बढ़ती हैं।


डिसक्लेमर

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