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पितृपक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण समय माना जाता है, इस वर्ष इसकी शुरुआत बीते 17 सितंबर से हो गई है। ज्योतिर्वेद विज्ञान केंद्र पटना के ज्योतिषाचार्य डॉ. राजनाथ झा के अनुसार यह 15 दिनों का एक अति विशेष कालखंड होता है जब लोग अपने पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध अर्पित करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति हो सके। इस अवधि में कई धार्मिक अनुष्ठान और क्रियाएं की जाती हैं जो परिवार में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए की जाती हैं। पितृपक्ष के दौरान यह माना जाता है कि हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं और तर्पण और श्राद्ध से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
घर में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: अगर पितृपक्ष के दौरान आपके घर में सुख-शांति बनी रहती है, विवाद समाप्त हो जाते हैं, और घर का वातावरण सकारात्मक हो जाता है, तो इसे पितरों के प्रसन्न होने का संकेत माना जाता है। पितर जब प्रसन्न होते हैं तो घर के सभी सदस्यों पर उनका आशीर्वाद होता है, जिससे घर में समृद्धि और शांति बनी रहती है। इसके अलावा, पुराने विवाद और परेशानियाँ समाप्त हो जाती हैं।
बच्चे का जन्म: यदि पितृपक्ष के दौरान किसी परिवार में नवजात का जन्म होता है, तो इसे शुभ संकेत माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह माना जाता है कि यह नवजात वास्तव में पूर्वजों का पुनर्जन्म होता है जो परिवार में वापसी करके जीवन का एक नया चरण आरंभ करते हैं। यह परिवार के लिए एक बड़ा सौभाग्य माना जाता है और इस दौरान परिवार में खुशियाँ आती हैं।
जानवरों का भोजन ग्रहण करना: पितृपक्ष के दौरान यदि कोई जानवर जैसे गाय, कुत्ता, बिल्ली, बकरी, या भैंस आपके द्वारा रखा गया भोजन प्रेमपूर्वक ग्रहण करता है, तो यह भी एक महत्वपूर्ण संकेत होता है कि पितर आपसे प्रसन्न हैं। जानवरों के माध्यम से पितर हमसे संपर्क करते हैं और उनका भोजन ग्रहण करना पितरों की स्वीकृति और संतुष्टि का प्रतीक होता है। यह माना जाता है कि इस प्रकार के संकेत मिलते ही घर में समृद्धि और शांति बढ़ती है।
कौए का आना और “कांव-कांव” करना: कौए को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है, विशेष रूप से पितृपक्ष के दौरान। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कौआ यमराज का दूत होता है, जो यमलोक से पितरों का संदेश लेकर आता है। यदि पितृपक्ष के दौरान आपके घर की छत, आंगन, या खिड़की पर कौआ आकर “कांव-कांव” करता है, तो यह संकेत होता है कि आपके पितर प्रसन्न हैं और उनका आशीर्वाद आप पर है। यह भी माना जाता है कि कौआ आपके पूर्वजों की उपस्थिति का प्रतीक है और यह शुभ संकेत है।
सपनों में पितरों का दर्शन होना: पितृपक्ष के दौरान यदि आपको सपने में आपके पूर्वज दिखाई देते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। यह संकेत है कि वे आपसे प्रसन्न हैं और आपको उनकी ओर से कोई विशेष संदेश देना चाहते हैं। ऐसे सपनों में अक्सर पितर प्रसन्न मुद्रा में दिखाई देते हैं और यह जीवन में नई दिशाओं और सकारात्मक परिवर्तनों का संकेत हो सकता है।
पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण की प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए जल, अन्न और अन्य सामग्रियों का अर्पण करते हैं। यह अनुष्ठान पितरों की आत्मा को तृप्त करता है और उन्हें मोक्ष प्राप्ति में सहायक होता है। साथ ही, इसे पितरों के आशीर्वाद को पाने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है, जिससे जीवन की कई समस्याएं समाप्त हो सकती हैं और परिवार में खुशहाली बनी रहती है।
इसके अलावा, कुछ और संकेत भी होते हैं जो यह दर्शाते हैं कि आपके पितर आपसे प्रसन्न हैं:
घरेलू समस्याओं का अचानक हल होना: पितृपक्ष के दौरान यदि घर में कोई लंबी समस्या अचानक समाप्त हो जाती है, तो इसे पितरों की कृपा मानी जाती है।
प्राकृतिक तत्वों से संकेत मिलना: जैसे हवा का अचानक चलना, दीपक का स्वतः प्रज्वलित होना, या फूलों का गिरना, ये भी पितरों की उपस्थिति और प्रसन्नता के संकेत हो सकते हैं।
अज्ञात व्यक्ति से शुभ समाचार मिलना: अगर आपको किसी अज्ञात स्रोत से अचानक कोई अच्छी खबर मिलती है, तो इसे भी पितरों के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
पितृपक्ष का समय हमारे पूर्वजों को याद करने, उनका सम्मान करने और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का महत्वपूर्ण अवसर है। अगर आपको उपरोक्त संकेत मिलते हैं, तो समझें कि आपके पितर आपसे प्रसन्न हैं और उनके आशीर्वाद से आपके जीवन में समृद्धि और शांति बनी रहेगी। पितरों की कृपा से न केवल परिवार में सुख-शांति बनी रहती है, बल्कि जीवन की कई चुनौतियाँ भी हल हो जाती हैं।
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