सगाई का दिन! जिंदगी का वो खास पल जब दो दिल एक दूसरे के साथ जुड़ते हैं और एक नई यात्रा की शुरुआत होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस खास दिन को और भी यादगार बनाने के लिए सही मुहूर्त का चुनाव कितना महत्वपूर्ण है? अगर आप मार्च 2025 में सगाई करने की योजना बना रहे हैं तो यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी होगी। सगाई जिसे रिंग सेरेमनी के नाम से भी जाना जाता है दो आत्माओं के मिलन का प्रतीक है। यह एक ऐसा पल है जिसे आप और आपका साथी जीवन भर याद रखते हैं। लेकिन इस पल को और भी खास बनाने के लिए, सही तिथि और मुहूर्त का चुनाव करना आवश्यक है। सही समय पर की गई सगाई न केवल आपके जीवन को सुखमय बनाती है बल्कि यह आपके रिश्ते की मजबूती का भी प्रतीक है। तो आइए इस लेख में मार्च 2025 के सगाई के शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पंचांग के अनुसार, मार्च 2025 में सगाई के लिए 10 शुभ मुहूर्त हैं: 1, 4, 7, 10, 12, 15, 18, 21, 25 और 29 मार्च। इसके अलावा और शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-
सगाई के लिए शुभ मुहूर्त का महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह आपके जीवन को सुखमय, समृद्ध और सफल बनाने में मदद करती है। सही मुहूर्त में की गई सगाई आपके रिश्ते की मजबूती का प्रतीक है और आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती है। यह आपके करियर और व्यक्तिगत जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है और आपके जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाती है। इसलिए सगाई के लिए शुभ मुहूर्त का चुनाव करना आवश्यक है ताकि आपका जीवन सुखमय और समृद्ध हो।
नवरात्रि में सभी सिद्धियों का दाता है मैय्या का सिद्धिदात्री स्वरुप, स्वयं शिव ने भी प्राप्त की हैं मैय्या से शक्तियां
जगत जननी मां दुर्गा की आराधना के पावन पर्व नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने का विधान है। यह मैया के सबसे सुंदर स्वरूपों में से एक है। आदिशक्ति मां भवानी दुर्गा का अष्टम रूप बड़ा ही मनमोहक और मनभावन है। महागौरी मैय्या अपने अन्य रूपों की तुलना में बहुत अधिक गोरे वर्ण वाली है। तो भक्त वत्सल की नवरात्रि विशेषांक के दसवें लेख में जानिए मां के आठवें स्वरूप महागौरी के बारे में विस्तार से…….
माता के भक्तों के लिए नवरात्रि सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इन नौ दिनों में देश ही नहीं दुनिया भर में मैय्या रानी के जगराते और पूजन पाठ किए जाते हैं। मैय्या हर दिन एक अलग रूप में भक्तों को दर्शन देती है और भक्त भी मां के उस स्वरूप की आराधना कर अपने मन की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
अगर आप पितृपक्ष के अवसर पर पिंडदान के लिए बिहार के गया आ रहे हैं और ठहरने के लिए महंगे होटलों में पैसे खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है।