Aaj Ka Panchang 9 June 2025: आज 9 जून 2025 को ज्येष्ठ माह का 28वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष तिथि त्रयोदशी है। आज सोमवार का दिन है। आज करीब 2 घंटे के लिए रवि योग रहेगा। सूर्य देव वृषभ राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा सुबह 8 बजकर 50 मिनट तक तुला राशि में रहकर, वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। आपको बता दें, आज सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:53 ए एम से 12:48 पी एम तक रहेगा। इस दिन राहुकाल 07:07 ए एम से 08:52 ए एम तक रहेगा। आज वार के हिसाब से आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। आज वैकासी विसकाम का पर्व भी है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि प्रारंभ - 8 जून, 07:17 एएम से
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि समाप्त - 9 जून, 09:35 ए एम तक
सोमवार का व्रत - आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है।
सोमवार के उपाय - सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इस दिन भगवान शिव को जल चढ़ाने, बेलपत्र, धतूरा और फूल चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। सोमवार के दिन भगवान शिव के मंत्र "ऊं नमः शिवाय" का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है। इसके अलावा सोमवार के दिन सफेद वस्त्र और चावल का दान करने से भी पुण्य मिलता है। इन उपायों को करने से भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख-शांति और सफलता मिलती है और चंद्रमा के नकारात्मक प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है।
वैकासी विसाकम तमिल पंचांग के अनुसार वैकासी मास की विसाकम नक्षत्र युक्त पूर्णिमा को मनाया जाने वाला एक अत्यंत शुभ और पवित्र पर्व है। यह दिन भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती के तेज से उत्पन्न हुए भगवान मुरुगन का जन्म हुआ था। वे शक्ति, बुद्धि, और विजय के प्रतीक माने जाते हैं।
इस दिन भक्तगण विशेष रूप से दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में, बड़े श्रद्धा से भगवान मुरुगन की पूजा करते हैं। मुरुगन मंदिरों में विशेष अभिषेक, पूजा, भजन और जुलूसों का आयोजन होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान मुरुगन की आराधना करने से शत्रुओं का नाश होता है, जीवन में विजय और सफलता प्राप्त होती है तथा रोग, शोक और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह पर्व आत्मशुद्धि, भक्ति और विजय की ऊर्जा को जागृत करने वाला माना जाता है।
लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर से नहाय खाय के साथ हो चुकी है। यह पर्व दिवाली के बाद मनाया जाता है और खासकर उत्तर भारत में इसका विशेष महत्व है।
छठ पूजा में खरना का दिन बहुत महत्व रखता है। इस दिन के बाद से व्रत करने वाले 36 घंटे तक बिना जल के उपवास रखते हैं। खरना के दिन व्रती नए मिट्टी के चूल्हे पर गुड़, दूध, और साठी के चावल से प्रसाद तैयार करते हैं।
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इसी दिन से व्रतधारी प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जला व्रत का आरंभ करते हैं। इस दिन खरना विशेष महत्व रखता है और इसे एकांत या बंद कमरे में संपन्न किया जाता है।
छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। जिसे लोहंडा भी कहा जाता है। इस दिन का उद्देश्य मानसिक और शारीरिक शुद्धिकरण है।