साल 2025 में अपने नन्हे मेहमान के आगमन के साथ आप उनके नामकरण संस्कार की तैयारी में जुट गए होंगे। यह एक ऐसा पल है जो न केवल आपके परिवार के लिए बल्कि आपके बच्चे के भविष्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। नामकरण संस्कार, जिसमें बच्चे को उसका पहला नाम दिया जाता है। यह हिंदू धर्म में 16 प्रमुख संस्कारों में से एक है। नामकरण संस्कार न केवल आपके बच्चे की पहचान को परिभाषित करता है बल्कि यह उसके जीवन के उद्देश्य और मार्ग को भी निर्धारित करता है। लेकिन नामकरण संस्कार को सफल बनाने के लिए यह जरूरी है कि आप इसे एक शुभ मुहूर्त में करें। शुभ मुहूर्त का चयन करने से आपके बच्चे के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है जो उसके भविष्य को उज्जवल बनाने में मदद करता है। तो आइए जानते हैं कि जुलाई 2025 में नामकरण के लिए शुभ मुहूर्त कब-कब रहने वाले हैं।
पंचांग के अनुसार, नामकरण संस्कार के लिए 2,6,11,13,16,20,25 और 30 जुलाई की तिथियां खास तौर पर शुभ मानी गई हैं। इसके अलावा कई शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-
1. 2 जुलाई 2025, बुधवार
- समय: सुबह 11:07 बजे से 3 जुलाई 2025, दोपहर 01:50 बजे तक
- नक्षत्र: हस्त
2. 6 जुलाई 2025, रविवार
- समय: रात 10:41 बजे से 8 जुलाई 2025, रात 01:11 बजे तक
- नक्षत्र: अनुराधा
3. 11 जुलाई 2025, शुक्रवार
- समय: सुबह 05:56 बजे से 12 जुलाई 2025, सुबह 05:53 बजे तक
- नक्षत्र: उत्तरा आषाढ़
4. 13 जुलाई 2025, रविवार
- समय: सुबह 05:53 बजे से 14 जुलाई 2025, सुबह 06:49 बजे तक
- नक्षत्र: श्रवण
5. 16 जुलाई 2025, बुधवार
- समय: सुबह 05:54 बजे से 19 जुलाई 2025, रात 02:14 बजे तक
- नक्षत्र: उत्तरा भाद्रपद
6. 20 जुलाई 2025, रविवार
- समय: रात 10:53 बजे से 22 जुलाई 2025, सुबह 05:55 बजे तक
- नक्षत्र: रोहिणी
7. 25 जुलाई 2025, शुक्रवार
- समय: दोपहर 12:00 बजे से 25 जुलाई 2025, शाम 04:00 बजे तक
- नक्षत्र: पुष्य
8. 30 जुलाई 2025, बुधवार
- समय: सुबह 05:57 बजे से 30 जुलाई 2025, रात 09:53 बजे तक
- नक्षत्र: हस्त
आमतौर पर नामकरण संस्कार शिशु के जन्म के 10 दिन बाद किया जाता है। माना जाता है कि शिशु के जन्म से सूतक प्रारंभ हो जाता है। इसकी अवधि अलग-अलग होती है। पाराशर स्मृति के अनुसार, ब्राह्मण वर्ण में सूतक 10 दिन, क्षत्रियों में 12 दिन, वैश्य में 15 दिन और शूद्र एक महीने का माना गया है। हालांकि, आज के समय में वर्ण व्यवस्था अप्रासंगिक हो गई है ऐसे में इसे 11वें दिन किया जाता है। पारस्कर गृह्यसूत्र में कहा गया है, “दशम्यामुत्थाप्य पिता नाम करोति”। इसका मतलब 10वें दिन भी नामकरण संस्कार किया जाता है। यह पिता द्वारा संपन्न होता है। वहीं, यह संस्कार 100वें दिन या शिशु के जन्म से 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी किया जाता है।
नामकरण संस्कार एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ज्योतिषीय अनुष्ठान है जो बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह संस्कार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि इसका ज्योतिषीय महत्व भी बहुत बड़ा है। एक नाम बच्चे के भविष्य पर गहरा असर डाल सकता है और जब माता-पिता पूरे विश्वास और श्रद्धा से इस संस्कार को करते हैं तो इसका सकारात्मक प्रभाव बच्चे के जीवन पर पड़ता है। इसलिए किसी शुभ तिथि और समय का चयन कर, ज्योतिषी की सलाह से ही बच्चे का नामकरण समारोह करना चाहिए। इसका महत्व इस प्रकार है
हिंदू धर्म में माता महातारा को आदि शक्ति का एक दिव्य और शक्तिशाली रूप माना जाता है। दस महाविद्याओं में से एक, महातारा देवी को ज्ञान, सिद्धि और सुरक्षा प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।
हिंदू धर्म में दस महाविद्याओं का विशेष स्थान है, जिनमें से एक देवी महातारा हैं। उन्हें शक्ति, ज्ञान और विनाश की देवी माना जाता है। देवी महातारा का स्वरूप गहरे नीले रंग का होता है, उनकी चार भुजाएं होती हैं और वे त्रिनेत्री हैं।
राम नवमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण और विशेष पर्व है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
राम नवमी हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से भगवान श्री राम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।