राम नवमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण और विशेष पर्व है। यह पर्व हर वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि भगवान श्रीराम अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र के रूप में अवतार लेकर पृथ्वी पर आए थे। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि इस वर्ष राम नवमी का त्योहार कब मनाया जाएगा। साथ ही इसकी जानकारी भी देंगे कि इस दिन पूजा-अर्चना के लिए सही तारीख और मुहूर्त क्या है।
आपको बता दें कि आमतौर पर कभी मार्च महीने में तो कभी अप्रैल महीने में राम नवमी का पर्व आता है। इसी कारण इस वर्ष लोगों के बीच राम नवमी पर्व की तारीख को लेकर श्रद्धालुओं के बीच कंफ्यूजन हो गया है। कई लोग मान रहे हैं कि राम नवमी का त्योहार 5 अप्रैल को मनाया जाएगा तो कई लोग यह कह रहे हैं कि इस वर्ष यह त्योहार 6 अप्रैल को मनाया जाएगा।
दरअसल, हिन्दू धर्म में इस पर्व को अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव का दिवस है। भगवान राम को धर्म, न्याय, मर्यादा और सत्य का प्रतीक माना जाता है। साथ ही इन्हें भगवान विष्णु का सातवाँ अवतार भी माना जाता है। राम नवमी का पर्व चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन कौशल्या माता ने अपने कोख से प्रभु श्रीराम को जन्म दिया था।
इस वर्ष राम नवमी का त्योहार 6 अप्रैल को मनाया जायेगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 अप्रैल को सायं 7 बजकर 26 मिनट पर शुरू हो रही है, जो अगले दिन यानी 6 अप्रैल को सायं 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। आपको बता दें कि हिन्दू धर्म में उदयातिथि मान्य होती है और यही कारण है कि राम नवमी 6 अप्रैल को मनाई जाएगी।
वहीं, अगर 6 अप्रैल को भगवान श्रीराम के पूजा-अर्चना की शुभ मुहूर्त की बात करें तो शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 8 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इस बीच श्रद्धालु पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना कर सकते हैं। अगर आप शुभ मुहूर्त के दौरान भगवान राम की पूजा करते हैं तो आपकी सभीमनोकामनाएँ पूर्ण हो सकती हैं।
हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है। उसी प्रकार, गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव का दिन होता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से बृहस्पति की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
सनातन हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है। अमावस्या तिथि कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन होती है और इस दिन आकाश में चांद दिखाई नहीं देता है। प्रत्येक साल कुल 12 अमावस्या पड़ती हैं।
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इसे पितरों और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का उत्तम समय माना जाता है। विशेष रूप से सोमवती अमावस्या, जो इस बार 30 दिसंबर 2024 को पड़ रही है।
केतु को आध्यात्मिक विकास, मोक्ष और वैराग्य का कारक माना जाता है। केतु ग्रह व्यक्ति के पिछले जन्मों के कर्मों का फल देते हैं। यह व्यक्ति के जीवन में अचानक बदलाव ला सकता हैं, चाहे वह अच्छे हों या बुरे।