हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सही समय और शुभ मुहूर्त में यह संस्कार करने से बच्चे के जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कर्णवेध संस्कार इसलिए किया जाता है ताकि बच्चे की सुनने की क्षमता विकसित हो और वह स्वस्थ जीवन जी सके। इसके अलावा कर्णवेध संस्कार के शुभ मुहूर्त का चुनाव करना, बच्चे के सौंदर्य, बुद्धिमत्ता और सुनने की क्षमता को बढ़ाने में सहायक माना गया है। हिंदू धर्म के अनुसार जब भी लड़के का कर्णवेध संस्कार होता है तो उसके दाएं कान को छेदने की परंपरा है और जब भी लड़की का कर्णवेध संस्कार होता है तो उसका पहले बायां कान छेदने की परंपरा है। सिर्फ इतना ही नहीं कर्णवेध संस्कार से जुड़ी और भी कई विशेष जानकारियां हैं जो जानना जरूरी है। इस लेख के माध्यम से ये सभी बाते जानेंगे साथ ही मार्च 2025 में कर्णवेध के शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानेंगे।
पंचांग के अनुसार 2, 15, 16, 20, 26 और 30 मार्च 2025 के इन दिनों को कर्णवेध संस्कार के लिए अनुकुल बताया गया है। इसके अलावा और शुभ तिथियां, शुभ मुहूर्त और नक्षत्र नीचे दिए गए हैं-
कर्णवेध संस्कार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो बच्चे के जीवन में सकारात्मक प्रभाव लाने के लिए किया जाता है। कुछ स्थानों पर कर्णवेध को “कथु कुथु” भी कहा जाता है जिसका हिंदी में अर्थ है- कान छिदवाना। यह संस्कार बच्चे की सुंदरता, बुद्धि, और सुनने की क्षमता में वृद्धि करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह संस्कार बच्चे को हर्निया जैसी गंभीर बीमारी से बचाने में मदद करता है और लकवा आदि आने की आशंका को कम करता है। यह संस्कार बच्चे के जीवन में समृद्धि, सुख और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है।
सिया जी से पूछ रहे अंजनी के लाला,
मांग में सिंदूर मैया किस लिए डाला,
सीता राम सीता राम,
सीताराम कहिये,
भारत के त्योहार और अनुष्ठान वैदिक परंपराओं में गहराई से निहित हैं। इसमें से अन्वधान और इष्टि का विशेष महत्व है। ये अनुष्ठान कृषि चक्रों और आध्यात्मिक कायाकल्प के साथ जुड़े होते हैं।
हिंदू धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि मान्यता है कि इस पेड़ में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है।