हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है। उसी प्रकार, गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव का दिन होता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से बृहस्पति की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए अक्सर गुरुवार का व्रत रखा जाता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके बृहस्पति देव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की किस्मत खुल जाती है। ज्योतिष के अनुसार भी हफ्ते का प्रत्येक दिन किसी विशेष ग्रह से जुड़ा है। उस ग्रह के देवता उस दिन के स्वामी माने जाते हैं। गुरुवार का दिन बृहस्पति ग्रह से जुड़ा होने के कारण, इस दिन बृहस्पति देव की पूजा का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि देव गुरु बृहस्पति की पूजा किस विधि से करें और पूजा का महत्व क्या है।
देव गुरु बृहस्पति को ज्ञान, धन, धर्म और मोक्ष का कारक माना जाता है। इनकी पूजा करने से जीवन में कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। बृहस्पति को ज्ञान का देवता कहा जाता है। इनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और व्यक्ति ज्ञानवान बनता है। बृहस्पति को धन का कारक भी माना जाता है। इनकी कृपा से व्यक्ति धनवान बनता है और उसके जीवन में समृद्धि आती है। बृहस्पति विवाह के लिए शुभ ग्रह माने जाते हैं। इनकी पूजा करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। संतान प्राप्ति के लिए भी बृहस्पति की पूजा की जाती है। इनकी कृपा से संतान प्राप्ति में आ रही समस्याएं दूर होती हैं। बृहस्पति करियर में सफलता दिलाने वाले ग्रह हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को नौकरी में पदोन्नति मिलती है और व्यापार में लाभ होता है। बृहस्पति स्वास्थ्य के लिए भी शुभ माने जाते हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी। इस महापर्व में हिस्सा लेने के लिए देश भर से नागा साधु और संतों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए थे। इस दौरान संगम में आस्था की डुबकी लगाकर सभी ने पुण्य फल प्राप्त किए। अब जल्द ही महाकुंभ मेले का समापन होने वाला है और महाशिवरात्रि के दिन अंतिम महास्नान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 14 जनवरी, मकर संक्रांति के अवसर पर पहला अमृत स्नान किया गया था।
26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की संभावना है। यह दिन महाकुंभ का अंतिम स्नान और महाशिवरात्रि का पावन पर्व भी है, जिससे आस्था का यह संगम और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रयागराज में महाकुंभ मेले का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा और इसी दिन महाकुंभ का अंतिम स्नान भी किया जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि पर कुछ विशेष संयोग बन रहे हैं।
महाकुंभ 2025 का समापन 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन होगा, इस दिन भारी संख्या में श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे। 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन, संगम पर होने वाले अंतिम शाही स्नान के साथ ही इस आयोजन का समापन हो जाएगा।