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हर व्यक्ति चाहता है कि उसका घर धन-धान्य से भरा रहे। इसके लिए वे नकद और तिजोरी की पूजा करते हैं। भारतीय परंपरा में नकद और तिजोरी धन और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। आमतौर पर इनकी पूजा धनतेरस, दिवाली या अन्य शुभ अवसरों पर की जाती है। इस पूजा का उद्देश्य न केवल आर्थिक समृद्धि प्राप्त करना है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखना भी है। आइए जानते हैं पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।
नकद और तिजोरी की पूजा माता लक्ष्मी की आराधना का एक हिस्सा है। देवी लक्ष्मी को धन-धान्य की देवी माना जाता है, जिनकी कृपा से व्यक्ति का भंडार भरा रहता है। इस पूजा से पैसों की बरकत बनी रहती है और आय में वृद्धि होती है। यह पूजा दर्शाती है कि व्यक्ति अपने घर में आने वाले धन का सम्मान करता है और इसका सदुपयोग करता है।
नकद और तिजोरी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। धनतेरस और दिवाली की रात को लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दौरान प्रदोष काल और स्थिर लग्न में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अन्य दिनों में पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए ताकि देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त हो और आर्थिक समृद्धि बनी रहे।
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