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शेयर बाजार निवेश पूजा विधि

शेयर बाजार निवेश पूजा विधि

Share Bazar Nivesh Puja: शेयर बाजार में निवेश से पहले करें पूजा, मिलेगा लाभ, जानें पूजा विधि और महत्व


भारतीय संस्कृति में परंपराओं और विश्वासों का विशेष महत्व है। इसी कारण, हिंदू धर्म में किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले पूजा करना शुभ माना जाता है। शेयर बाजार में निवेश करने से पहले भी लोग पूजा करते हैं, क्योंकि इसे सकारात्मक शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। ऐसा करने से न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। साथ ही, निवेश से आर्थिक उन्नति के अवसर भी बढ़ते हैं। यदि आप भी शेयर बाजार में निवेश करने वाले हैं, तो इस लेख के माध्यम से पूजा की विधि, इसके लाभ और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समझें।



पूजा का महत्व:


भारतीय संस्कृति में पूजा का मुख्य उद्देश्य नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना और सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करना है। पूजा के माध्यम से निवेश को एक शुभ शुरुआत दी जाती है, जिससे आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। इसके अलावा, पूजा से निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ता है और मनोबल मजबूत होता है। पूजा करने से यह भाव भी आता है कि भगवान हर स्थिति में उनका मार्गदर्शन करेंगे। इसके साथ ही, यह प्रार्थना भी की जाती है कि निवेश सफल हो और समृद्धि प्रदान करे।



निवेश से पहले की पूजा विधि:


  1. साफ-सुथरा स्थान चुनें, वहां चौकी स्थापित करें और उस पर पीला कपड़ा बिछाएं।
  2. भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित करें। साथ ही, फूल, नारियल, अगरबत्ती, दीपक और मिठाई तैयार रखें।
  3. भगवान गणेश का स्मरण करते हुए "ॐ गण गणपतये नमः" का 11 बार जाप करें।
  4. देवी लक्ष्मी की आराधना करते हुए "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" का जाप करें।
  5. मूर्तियों पर हल्दी-चंदन और फूल अर्पित करें, फिर दीप जलाकर आरती करें।
  6. अंत में प्रसाद वितरण करें और ईश्वर से अपने निवेश की सफलता के लिए प्रार्थना करें।



शेयर बाजार में निवेश से पहले पूजा के लाभ:


  • देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, इसलिए किसी भी तरह के निवेश से पहले उनकी पूजा शुभ होती है।
  • पूजा से निवेश में स्थिरता और लाभ प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • पूजा से निवेशकों को मानसिक शांति और आत्मविश्वास मिलता है, जिससे वे हर स्थिति का सामना सकारात्मक दृष्टिकोण से कर सकते हैं।

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कब है भाई दूज 2 या 3 नवंबर, जानें शुभ मुहूर्त

दीपोत्सव दिवाली के पांच दिवसीय महोत्सव में गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक इस त्योहार के साथ ही दिवाली उत्सव का समापन होता है।

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव के दौरान गोवर्धन पूजा का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

गोवर्धन पूजा पर क्यों होता है अन्नकूट

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्‍ण, गोवर्धन पर्वत, गाय और गौवंश की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्‍ण को उनका भोग लगाने और अन्नकूट महोत्सव का भी विधान है।

गोवर्धन पूजा की संपूर्ण कथा

दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रमुख त्योहार गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की प्रतीक स्वरूप पूजा-अर्चना करने का विधान है।

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