भारतीय ज्योतिष में भविष्यफल जातक की चंद्र राशि के आधार पर ही निर्धारित की जाती है। मन के साथ-साथ चंद्रमा को माता का कारक ग्रह भी माना जाता है। चंद्रमा राशि चक्र की चतुर्थ राशि यानि कर्क राशि के स्वामी माने जाते हैं। वृषभ राशि में ये उच्च के होते हैं। वहीं, वृश्चिक राशि में चंद्रमा को नीच का माना जाता है। चंद्रमा एक राशि में लगभग सवा दो दिन तक रहते हैं।
तो आइए इस आलेख में 2025 में राशियों पर चंद्रमा के प्रभाव को विस्तार से जानते हैं।
नवग्रहों में चंद्रमा ही हैं जो सबसे ज्यादा गति रखते हैं और तेजी के साथ राशि परिवर्तन करते हैं। जन्म समय के अनुसार चंद्रमा जिस राशि में मौजूद होते हैं वही जातक की चंद्र राशि बनती है।
पंचांग मास का निर्धारण भी चंद्रमा के आधार पर ही होता है। चंद्रमा ही एक ऐसा ग्रह है जिसमें प्रत्यक्ष रूप से हम हर दिन होने वाले परिवर्तन को देखा जा सकता हैं। हालांकि, चंद्रमा की अपनी चमक नहीं होती है। बल्कि, वह सूर्य की रोशनी से हमें जगमगाते दिखाई देते हैं।
साल 2025 में गुरु और चंद्रमा 12 साल के बाद मिथुन राशि में युति करेंगे। इन दोनों की युति से 12 वर्षों के बाद मिथुन राशि में गजकेसरी योग बनेगा। ज्योतिष शास्त्र में इसे बेहद शुभ योग की संज्ञा दी गई है। यह युति सबसे पहले 28 मई 2025 को मिथुन राशि में होगी। इसके बाद जब-जब चंद्रमा, गुरु ग्रह से युति पूरे साल भर में बनाएंगे, तब-तब यह योग बनेगा। गुरु-चंद्रमा के इस योग से कुछ राशियों को 2025 में लाभ मिलेगा जो इस प्रकार हैं।
अगर नवग्रहों के साथ इनके संबंध की बात करें तो सूर्य और बुध के साथ इनकी मित्रता है। वहीं, राहू और केतु के साथ इनकी नहीं बनती। यही कारण है कि राहू चंद्रमा को ग्रहण भी लगाते हैं। मंगल, गुरु, शुक्र व शनि के साथ इनका सम व्यवहार होता है। कुल मिलाकर कह सकते हैं ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह हैं। चंद्रमा लगभग ढ़ाई दिन में राशि परिवर्तन करता है।
परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी के जन्मदिन के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है और इस साल 29 अप्रैल को परशुराम जयंती मनाई जाएगी। विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम एक चिरंजीवी अवतार हैं जो धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए बार-बार पृथ्वी पर आते हैं।
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया की तिथि को अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इस दिन किए गए सभी पुण्य कार्यों, जैसे दान, पूजा और शुभ आरंभ का फल ‘अक्षय’ यानी कि कभी न समाप्त होने वाला होता है।
अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो इस साल 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। यह तिथि अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।
हिंदू संस्कृति में कुछ दिन इतने शुभ माने जाते हैं कि उन दिनों किसी शुभ कार्य के लिए विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है, और अक्षय तृतीया भी उन्हीं तिथियों में से एक मानी जाती है। इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी।