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परशुराम जयंती उपाय

परशुराम जयंती उपाय

Parshuram Jayanti Upay: परशुराम जयंती पर अवश्य करें ये उपाय, इससे घर आता है शुभ समाचार


परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी के जन्मदिन के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है और इस साल 29 अप्रैल को परशुराम जयंती मनाई जाएगी। विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम एक चिरंजीवी अवतार हैं जो धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए बार-बार पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस पावन दिन पर कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में चमत्कारिक और सकारात्मक बदलाव आते हैं। 

शुद्ध गाय के घी का जलाएं दीपक 

परशुराम जयंती के दिन भगवान परशुराम के सामने गाय के घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन दीपक जलाते समय ‘ॐ परशुरामाय नमः’ का उच्चारण करें। इस उपाय को करने से समाज में आदर-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। 

भगवान परशुराम को अर्पित करें कमल का फूल

कमल का फूल भगवान परशुराम को अत्यंत प्रिय है। इसलिए परशुराम जयंती के दिन इसे उनके चरणों में अर्पित करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मान-सम्मान की वृद्धि होती है। कमल का फूल अर्पित करते समय शांत मन से संकल्प लें और ध्यान करें कि आप जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

परशुराम मंत्र जाप से बढ़ाएं मानसिक शक्ति 

  • सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान परशुराम को शांत मन से प्रणाम करें। फिर श्रद्धा भाव से कार्य सफलता की प्रार्थना करें, इससे जीवन से बाधाएँ दूर होती हैं और सकारात्मकता का संचार होता है। 
  • परशुराम जयंती पर व्रत रखना अत्यंत फलदायक होता है। इस दिन मौन रहकर भक्ति में लीन रहने से आत्मा की शुद्धि होती है। इसलिए इस दिन व्रत का संकल्प लेकर सूर्यास्त तक मौन रहें और शाकाहारी भोजन करें।
  • इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तांबे का बर्तन, चंदन और फल का दान करें। ऐसा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • ॐ परशुरामाय नमः’ या ‘ॐ ह्रीं परशुरामाय नमः’ जैसे मंत्रों का 108 बार जाप करें। यह मानसिक शक्ति को बढ़ाता है और इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

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शनि जयंती के यम-नियम

शनि जयंती, भगवान शनि के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को आती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस साल शनि जयंती 27 मई, मंगलवार को मनाई जाएगी।

Jyeshtha Amavasya 2025 (ज्येष्ठ अमावस्या 2025 कब है)

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन पितरों की पूजा, तर्पण और शांति के उपायों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। यूं तो साल में आने वाली सभी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता हैI

ज्येष्ठ अमावस्या के उपाय

हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह की अमावस्या का विशेष महत्व है और जब यह तिथि सोमवार को आती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन पितरों को स्मरण करने और उन्हें तर्पण देने का सबसे श्रेष्ठ अवसर होता है।

ज्येष्ठ अमावस्या स्तोत्र पाठ

हिंदू पंचांग में हर अमावस्या तिथि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। यह दिन पितृों की शांति के लिए, आत्मिक शुद्धि के लिए और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत उत्तम माना गया है।

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