भगवान शिव पर क्यों चढ़ाया जाता है बेलपत्र
भगवान शिव एक ऐसे देवता हैं जिनपर आभूषण के तौर पर कई वस्तुएं अर्पित की जा सकती हैं। इन सभी वस्तुओं में शिव को बेलपत्र सबसे ज्यादा प्रिय है। शिव को बेलपत्र पसंद होने के पीछे एक कहानी ये भी बताई जाती है कि बेलपत्र का सीधा संबंध माता पार्वती से होता है। जानकारों के अनुसार ये भी कहा जाता है कि बेलपत्र के तीन पत्ते आपस में जुड़े हुए होते हैं, और ये त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के प्रतीक होते हैं। एक मान्यता ये भी है कि बेलपत्र के तीन जुड़े हुए पत्तों को शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव को शांति मिलती है और वे प्रसन्न हो जाते हैं। तो चलिए आज आपको बताते है की क्यों भगवान शिव को बेलपत्र इतना प्रिय क्यों है और इसके पीछे का इतिहास क्या है…..
क्यों चढ़ाया जाता भगवन शिव पर बेलपत्र :
स्कंद पुराण के अनुसार, एक समय की बात है जब मां पार्वती के माथे से कुछ पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर जा गिरीं, जहां जहां माता का पसीना गिरा वहां बेल के वृक्ष का जन्म हुआ। ऐसा कहा जाता है कि बेल के पेड़ की जड़ में में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखा में दक्षायनी, पत्ती में पार्वती तथा पुष्प में गौरी का वास होता है। इसी कारण भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाया जाता है। बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं। बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं लेकिन इन्हें एक ही पत्ती माना जाता है। इस पेड़ में एक फल भी होता है जिसका नाम बेल होता है। भगवान शिव पर ये फल भी अर्पित किया जाता है।
बेलपत्र से जुड़ी एक कहानी और भी है जो सीधा समुद्र मंथन से जाकर जुड़ती है। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवन शिव द्वारा विष को पीने के बाद उनका शरीर गरम होने लगा था और आसपास के वातावरण भी जलने लगा था। विष के इस प्रभाव को काम करने के लिए सभी देवी देवताओं ने महादेव को बेलपत्र खिलाना शुरू किया। ऐसा इसलिए क्योंकि माना जाता है कि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम कर देता है। बस इसी के बाद से भगवन शिव को बेलपत्र अर्पित करने का चलन चल पड़ा।
भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से क्या होगा लाभ :
ऋषियों के अनुसार, भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाना, 1 करोड़ कन्याओं के कन्यादान के फल के समान है। इनके आलावा भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से दरिद्रता दूर हो जाती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। मान्यता के अनुसार, अगर आपकी कोई मनोकामना है, तो बेलपत्र पर चंदन से राम या फिर ओम नम: शिवाय लिखकर भोलेनाथ को चढ़ाएं अथवा सभी संकटों से छुटकारा मिलता है।
बेलपत्र चढ़ाते समय इस मंत्र का करे उच्चारण :
महादेव को बेलपत्र अर्पित करते समय मंत्र
‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥’
का उच्चारण करें।
ये श्लोक विल्वाष्टक का है, जिसका अर्थ होता है कि तीन गुण, तीन नेत्र, त्रिशूल धारण करने वाले और तीन जन्मों के पाप को संहार करने वाले हे भगवान शिव मैं आपको बेलपत्र अर्पित करता हूं।
बेल पत्र चढ़ाने में के नियम :
१) भगवान शिव को एक साथ जुड़ी हुई तीन पत्तियों वाली बेलपत्र ही चढ़ाएं।
२) पत्तियां कहीं से भी कटी-फटी या उनमें छेद न हो तो उसे न चढ़ाएं।
३) बेल पत्र की सतह जिस ओर से चिकनी हो उस ओर से ही बेल पत्र चढ़ाए।
४) बेलपत्र चढ़ाने के लिए अनामिका, मध्यमा और अंगूठे का प्रयोग करें।
५) बेल पत्र चढ़ाते समय शिवलिंग का जल से अभिषेक भी करें।
६) कम से कम 1 बेलपत्र तो जरूर चढ़ाएं, वैसे बेलपत्र 11, 21 की संख्या पर चढ़ाया जाता है।
७) सोमवार को बेलपत्र कभी नहीं तोड़े।
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