अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती ॥
द्वारे पे आए माँ हमको निहारो,
सोई हुई तक़दीर संवारो,
अगर माँ की ज्योति जलाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
अगर मां ने ममता ॥
हमें क्या पड़ी है हम तुम्हे मनाए,
हमारा तो हक़ है की हम रूठ जाए,
अगर माँ मनाने तू आई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
अगर मां ने ममता ॥
फटकार देना माँ दुत्कार देना,
मगर भोली माँ लाल को प्यार देना,
अगर माँ ने बिगड़ी बनाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
अगर मां ने ममता ॥
अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती ॥
हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना को अत्यंत फलदायक माना गया है। विशेष रूप से प्रदोष व्रत को बहुत ही पावन और शुभ माना जाता है। इस व्रत को हर महीने की त्रयोदशी तिथि (कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में) को रखा जाता है। मई 2025 में पहला प्रदोष व्रत वैशाख शुक्ल त्रयोदशी को आएगा, जो कि शुक्रवार के दिन है।
भारत एक ऐसा देश है जहां हर राज्य की अपनी अलग परंपरा और संस्कृति है। केरल का त्रिशूर पूरम ऐसा ही एक रंगीन और भव्य उत्सव है, जो न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए भी एक खास आकर्षण होता है।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत बड़ा महत्व होता है। पंचांग के अनुसार हर महीने में दो एकादशी आती हैं – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस तरह साल भर में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है, खासकर जब बात भगवान विष्णु को समर्पित व्रत की हो। साल भर में 24 एकादशियां आती हैं, लेकिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।