अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती ॥
द्वारे पे आए माँ हमको निहारो,
सोई हुई तक़दीर संवारो,
अगर माँ की ज्योति जलाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
अगर मां ने ममता ॥
हमें क्या पड़ी है हम तुम्हे मनाए,
हमारा तो हक़ है की हम रूठ जाए,
अगर माँ मनाने तू आई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
अगर मां ने ममता ॥
फटकार देना माँ दुत्कार देना,
मगर भोली माँ लाल को प्यार देना,
अगर माँ ने बिगड़ी बनाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती,
अगर मां ने ममता ॥
अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती ॥
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने, पितरों की शांति के लिए तर्पण करने और पुण्य कमाने का उत्तम समय होता है।
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि हिंदू पंचांग के अनुसार विशेष महत्व रखती है। यह तिथि न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अहम होती हैI
इस बार श्रावण मास २२ जुलाई सोमवार के दिन से ही शुरू होकर १९ अगस्त सोमवार को ही समाप्त हो रहा है इस बार श्रावण मास में पांच सर्वार्थ सिद्धि योग एक अमृत सिद्धि योग और रवि पुष्य का विशेष संयोग रहेगा।
कालसर्प दोष का नाम आते ही लोगों के मन में एक अलग ही तरह का डर और बेचैनी आ जाती है क्यूंकि हमारे ज्योतिषियों ने इसे काफी ख़राब बताया है, जिस किसी की भी कुंडली में अगर राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं तो इसे कालसर्प दोष माना जाता है।