भक्तो का कल्याण करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
विष का प्याला पिने वाले,
नीलकंठ कहलाने वाले,
सबको अमृत दान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
तीसरा नेत्र जब भी खोले,
जल थल धरती अम्बर डोले,
दूर सबका अभिमान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
जटाजूट तन भस्म रमाए,
त्रिलोकी के नाथ कहाए,
नवयुग का निर्माण करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
भटके को शिव राह दिखाए,
हर संकट को दूर भगाए,
‘सितारा’ सुख परवान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
भक्तो का कल्याण करे रे,
मेरा शंकर भोला,
हर मुश्किल आसान करे रे,
मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शंकर भोला,
ओ मेरा शम्भू भोला ॥
वट सावित्री व्रत हिन्दू धर्म की उन विशेष परंपराओं में से एक है जो स्त्री के श्रद्धा, समर्पण और पति के प्रति प्रेम को दर्शाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं।
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में स्त्रियों द्वारा पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए किया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र व्रत है। यह व्रत विशेषकर ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाता हैI
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं रखती हैं। इस दिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा, सावित्री-सत्यवान की कथा का पाठ और वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं।
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म की सबसे प्रमुख व्रत परंपराओं में से एक है, जिसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु, सौभाग्य और समृद्ध जीवन के लिए करती हैं। इस व्रत का वर्णन महाभारत, स्कंद पुराण, और व्रतराज जैसे शास्त्रों में विस्तार से मिलता है।