भोले ऐसी भांग पिला दे, जो तन मन में रम जाए (Bhole Aisi Bhang Pila De Jo Tan Man Me Ram Jaye)

शिव समान दाता नहीं,

है ये देवों के है देव,

भक्तों के हित विष पिया,

कहलाए महादेव ॥


भोले ऐसी भांग पिला दे,

जो तन मन में रम जाए,

तन मन में रम जाए भोले,

रोम रोम बस जाए,

कोई लाख जतन कर हारे,

उतरे ना उतराए,

भोलें ऐसी भांग पिला दे,

जो तन मन में रम जाए ॥


तुम्हरी भांग के लिए,

तरसते है ब्रम्हा और विष्णु,

विनती करते बार बार सब,

कृपा करो हे शम्भू,

क्या नर क्या नारायण,

सब है तुम्हरी आस लगाए,

कोई लाख जतन कर हारे,

उतरे ना उतराए,

भोलें ऐसी भांग पिला दे,

जो तन मन में रम जाए ॥


भक्ति भाव की भांग तुम्हारी,

जो पीवे तर जाए,

जन्म मरण के बंधन से,

वह पार उतर जाए,

आत्म पंछी उड़कर तेरे,

धाम पहुंच जाए,

कोई लाख जतन कर हारे,

उतरे ना उतराए,

भोलें ऐसी भांग पिला दे,

जो तन मन में रम जाए ॥


मीरा और कबीरा ने पी,

पी रहीम हरी बोले,

सूरदास और तुलसी ने पी,

तो अंतर पट खोले,

ऐसी मुझे पिला दे भोले,

सोया मन जग जाए,

कोई लाख जतन कर हारे,

उतरे ना उतराए,

भोलें ऐसी भांग पिला दे,

जो तन मन में रम जाए ॥


भोले ऐसी भांग पिला दे,

जो तन मन में रम जाए,

तन मन में रम जाए भोले,

रोम रोम बस जाए,

कोई लाख जतन कर हारे,

उतरे ना उतराए,

भोलें ऐसी भांग पिला दे,

जो तन मन में रम जाए ॥

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भोले शंकर तेरे दर्शन को,
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