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छठ पूजा: कांच ही बांस के बहंगिया (Chhath Puja: Kanch Hi Bans Ke Bahangiya)

छठ पूजा: कांच ही बांस के बहंगिया (Chhath Puja: Kanch Hi Bans Ke Bahangiya)

कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय

बहंगी लचकत जाय

होई ना बलम जी कहरिया,

बहंगी घाटे पहुंचाय


कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय

बहंगी लचकत जाय


बाट जे पूछेला बटोहिया,

बहंगी केकरा के जाय

बहंगी केकरा के जाय

तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया,

बहंगी छठ मैया के जाय

बहंगी छठ मैया के जाय

ओहरे जे बारी छठि मैया,

बहंगी उनका के जाय

बहंगी उनका के जाय


कांच ही बांस के बहंगिया,

बहंगी लचकत जाय

बहंगी लचकत जाय

होई ना देवर जी कहरिया,

बहंगी घाटे पहुंचाय

बहंगी घाटे पहुंचाय

ऊंहवे जे बारि छठि मैया

बहंगी के उनके के जाय

बहंगी उनका के जाय


बाट जे पूछेला बटोहिया

बहंगी केकरा के जाय

बहंगी केकरा के जाय

तू तो आन्हर होवे रे बटोहिया

बहंगी छठ मैया के जाय

बहंगी छठ मैया के जाय

ऊंहवे जे बारी छठि मैया

बहंगी उनका के जाय

बहंगी उनका के जाय

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शाही स्नान में कितनी डुबकी लगानी चाहिए

महाकुंभ 2025 की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं, और अब साधु-संत तथा श्रद्धालु संगम में शाही स्नान के लिए आतुर हैं। शाही स्नान महाकुंभ या कुंभ मेला का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान होता है, जिसे धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

क्यों दक्षिण दिशा में सिर रखकर नहीं सोना चाहिए?

हम सभी जानते हैं कि अच्छी नींद के लिए सही माहौल बनाना कितना ज़रूरी है। हम आरामदायक बिस्तर, कमरे का तापमान और रोशनी जैसी चीज़ों पर ध्यान देते हैं।

मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी क्यों नहीं बजानी चाहिए?

मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी बजाना एक ऐसा रिवाज है जो सदियों से चला आ रहा है। यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी बताए गए हैं।

त्रिवेणी संगम पर शाही स्नान का महत्व

महाकुंभ मेला (Mahakumbh Mela 2025) हर बार ज्योतिषीय गणना के आधार पर आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत भाग लेते हैं। यह मेला 12 साल के अंतराल में आयोजित होता है, और इस बार इसका भव्य आयोजन प्रयागराज में होने जा रहा है।

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