आओ गजानंद प्यारा,
बेगा पधारो गणपति जी,
दुन्दाला, सुंडाला,
गजानंद बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ,
गजानन्द बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ ॥
शुभ लाभ थे सबने बांटों,
भंडारा में थाके काहे को घाटों,
सबसे पहले थाने मनावा गणपति जी,
दुन्दाला, सुंडाला,
गजानन्द बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ,
गजानन्द बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ ॥
महिमा निराली देवा थाकि गजानंद,
रिद्धि सिद्धि पति पूर्ण ब्रम्हानंद,
मोदक को थे भोग लगाओ गणपति जी,
दुन्दाला, सुंडाला,
गजानन्द बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ,
गजानन्द बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ ॥
माता पिता छे थाका गौरी शंकर,
जा का गला में सोहे नाग भयंकर,
गंगा जा के सर पे विराजे गणपति जी,
दुन्दाला, सुंडाला,
गजानन्द बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ,
गजानन्द बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ ॥
आओ गजानंद प्यारा,
बेगा पधारो गणपति जी,
दुन्दाला, सुंडाला,
गजानंद बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ,
गजानन्द बेगा आओ,
साथ रिद्धि सिद्धि ने ल्याओ ॥
माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रखा जाने वाला रथ सप्तमी व्रत इस साल 4 फरवरी को है। यह व्रत प्रमुख रूप से सूर्य देव को समर्पित है। रथ सप्तमी को अचला सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है।
रथ-सप्तमी का पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल रथ-सप्तमी का पर्व 4 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान सूर्य देव को समर्पित है।
हिंदू धर्म में, रथ सप्तमी का पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। इस साल रथ सप्तमी का पर्व 4 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।
रथ सप्तमी सनातन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। यह माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह त्योहार 4 फरवरी को मनाई जाएगी।