हे शिव शम्भू नमस्तुभ्यं(Hey Shiv Shambhu Namastubhyam)

हे शिव शम्भू नमस्तुभ्यं,

हे गंगाधर नमस्तुभ्यं,

महाकालम नमस्तुभ्यं,

हे नंदीश्वर नमस्तुभ्यं,

हे शिव शम्भु नमस्तुभ्यं,

हे गंगाधर नमस्तुभ्यं ॥


नमस्ते सुरप्रिया धारम,

नमस्ते युग सृजन हारम,

उमा नाथम नमस्तुभ्यं,

हे बाघेश्वर नमस्तुभ्यं,

हे शिव शम्भु नमस्तुभ्यं,

हे गंगाधर नमस्तुभ्यं ॥


नमस्ते पशुपति नाथम,

त्रयम्बक हे भुजंग धारम,

जटा धारम नमस्तुभ्यं,

हे रामेश्वरम नमस्तुभ्यं,

हे शिव शम्भु नमस्तुभ्यं,

हे गंगाधर नमस्तुभ्यं ॥


नमस्ते नील कंठेश्वर,

नमस्ते ओमकारेश्वर,

‘देवेंद्र कुलदीप’ करे वंदन,

हे करुणाकर नमस्तुभ्यं,

हे शिव शम्भु नमस्तुभ्यं,

हे गंगाधर नमस्तुभ्यं ॥


हे शिव शम्भू नमस्तुभ्यं,

हे गंगाधर नमस्तुभ्यं,

महाकालम नमस्तुभ्यं,

हे नंदीश्वर नमस्तुभ्यं,

हे शिव शम्भु नमस्तुभ्यं,

हे गंगाधर नमस्तुभ्यं ॥

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चंपा षष्ठी मानने के पीछे की वजह

भारत में त्योहारों का विशेष महत्व है। यहां हर दिन किसी न किसी क्षेत्र में कोई पर्व या त्योहार मनाया जाता है। इनमें से कुछ त्योहार न केवल देश में बल्कि विदेशों तक भी प्रचलित होते हैं।

नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि

नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पावन पर्व है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं—चैत्र, आषाढ़, माघ और शारदीय नवरात्र।

हे प्रथम पूज्य गौरीनंदन, हम शरण तिहारी आए है (Hey Pratham Pujya Gaurinandan Hum Sharan Tihari Aaye Hai)

हे प्रथम पूज्य गौरीनंदन,
हम शरण तिहारी आए है,

वह शक्ति हमें दो दया निधे (Wah Shakti Hamain Do Daya Nidhe)

वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें।

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