Logo

शिवजी को काल भैरव क्यों कहते हैं

शिवजी को काल भैरव क्यों कहते हैं

Mahakal Katha: भगवान शिव को कालों का काल महाकाल क्यों कहा जाता है? यहां पढ़ें विस्तार से



मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव महाकाल के रूप में विराजमान हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में यह तीसरे स्थान पर आता है। उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग देश का एकमात्र शिवलिंग है जो दक्षिणमुखी है। मंदिर से कई प्राचीन परंपराएं जुड़ी हुई हैं। वहीं, इस मंदिर के कई अनसुलझे रहस्य भी हैं। भगवान शिव के कई नाम हैं, सदियों से उन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, शंभू, त्रिलोकपति के नाम से पुकारा जाता रहा है, लेकिन उज्जैन में उन्हें महाकाल के नाम से पुकारा जाता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि भगवान शिव को कालों का काल महाकाल क्यों कहा जाता है?


भगवान शिव का महाकाल नाम कैसे पड़ा?



पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में उज्जैन, जिसे उज्जयिनी और अवंतिकापुरी के नाम से भी जाना जाता था, जिसमें एक शिव भक्त ब्राह्मण निवास करते थे। उस समय, अवंतिकापुरी की जनता दूषण नामक एक भयंकर राक्षस के अत्याचारों से त्रस्त थी। लोग उसे 'काल' के नाम से भी जानते थे।

दूषण को ब्रह्मा जी से कई असाधारण शक्तियां प्राप्त थीं, जिनका उसने दुरुपयोग करते हुए निर्दोष लोगों को पीड़ा पहुँचाना अपना नित्यकर्म बना लिया था। राक्षस की शक्तियों के प्रकोप से ब्राह्मण अत्यंत दुखी थे। उन्होंने भगवान शिव से राक्षस का संहार करने की प्रार्थना की, परंतु लंबे समय तक भगवान की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।

प्रार्थनाओं का कोई फल न होता देख, एक दिन, ब्राह्मण भगवान शिव से क्रोधित हो गए और उन्होंने उनकी पूजा करना बंद कर दिया। अपने ब्राह्मण भक्त को दुखी देखकर, भगवान शिव एक प्रचंड हुंकार के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने दूषण का वध कर दिया। चूँकि लोग दूषण को 'काल' कहते थे, इसलिए उसके वध के कारण भगवान शिव 'महाकाल' के नाम से प्रसिद्ध हुए।


अकाल मृत्यु का निवारण करते हैं महाकाल



महाकाल को काल का स्वामी माना जाता है, यानी वे समय और मृत्यु के नियंत्रक हैं। मान्यता है कि उनकी आराधना करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और जीवन में स्थिरता आती है। महाकाल मंदिर में अकाल मृत्यु के निवारण के लिए विशेष पूजाएं आयोजित की जाती हैं। भक्तों का मानना है कि सच्चे मन से उनकी आराधना करने से मृत्यु का भय नहीं रहता है। आपको बता दें, उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर को देश के सात मोक्ष प्राप्ति स्थलों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, यहां पर कुंडली के कालसर्प दोष से लेकर जीवन से जुडी सभी विपत्तियों को दूर करने के लिए पूजा अर्चना की जाती है।

........................................................................................................
मीठे रस से भरीयो री, राधा रानी लागे(Mithe Ras Se Bharyo Ri Radha Rani Lage)

मीठे रस से भरीयो री,
राधा रानी लागे।

मोहन से दिल क्यूँ लगाया है(Mohan Se Dil Kyun Lagaya Hai)

मोहन से दिल क्यूँ लगाया है,
ये मैं जानू या वो जाने,

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी(Mohe Hori Mein Kar Giyo Tang Ye Rashiyan Mane Na Meri)

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी,
माने ना मेरी माने ना मेरी,

मोहे लागी लगन गुरु चरणन की(Mohe Lagi Lagan Guru Charanan Ki)

अखंड-मंडलाकारं
व्याप्तम येन चराचरम

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang