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जब जब मन मेरा घबराए(Jab Jab Man Mera Ghabraye)

जब जब मन मेरा घबराए(Jab Jab Man Mera Ghabraye)

जब मन मेरा घबराए,

कोई राह नज़र ना आये,

ये हाथ पकड़ कर मेरा,

मुझे मंज़िल तक ले जाये,

ये बाबा तो मेरा रखवाला है,

मुझे पल पल संभाला हैं ॥


कोई भी पास नहीं था,

तब ये ही साथ खड़ा था

मुझ दीन हीन कि खातिर,

दीनो का नाथ लड़ा था,

मेरे सिर पे हाथ फिराया,

मुझे अपने गले लगाया,

मैं हर दम साथ हूँ तेरे,

मुझको एहसास कराया,

ये बाबा तो मेरा रखवाला है,

मुझे पल पल संभाला हैं ॥


दर्दो को सहते सहते,

कितना मैं टूट गया था,

रो रो कर इन आँखों का,

हर आंसू सूख गया था,

मेरे श्याम ने मुझे निहारा,

दुःख मेट दिया है सारा,

अब इसके भरोसे छोड़ा,

मैंने ये जीवन सारा,

ये बाबा तो मेरा रखवाला है,

मुझे पल पल संभाला हैं ॥


मेरे मन के उपवन का,

मेरा श्याम बना है माली,

इनकी शीतल छाया में,

महकी हैं डाली डाली,

‘आनंद’ का फूल खिलाया,

जीवन मधुबन है बनाया,

अपनी किरपा का अमृत,

मुझ पर है खूब लुटाया,

ये बाबा तो मेरा रखवाला है,

मुझे पल पल संभाला हैं ॥


अंतिम अरदास यही है,

मेरे श्याम का ही हो जाऊं,

गोदी में श्याम प्रभु की,

मैं सर रख कर सो जाऊं,

मुझे देख श्याम मुस्काये,

मेरी रूह चैन तब पाए,

फिर ‘तरूण’ श्याम मस्ती में,

लेकर इकतारा गाये,

ये बाबा तो मेरा रखवाला है,

मुझे पल पल संभाला हैं ॥


जब मन मेरा घबराए,

कोई राह नज़र न आये,

ये हाथ पकड़ कर मेरा,

मुझे मंज़िल तक ले जाये,

ये बाबा तो मेरा रखवाला है,

मुझे पल पल संभाला हैं ॥

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मां कूष्मांडा की पूजा विधि और कथा

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की उपासना को समर्पित होता है। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचयिता माना गया है। 'कूष्मांड' शब्द का अर्थ है, ‘कु’ यानी थोड़ा, ‘उष्म’ यानी ऊर्जा और ‘अंड’ यानी ब्रह्मांड।

मां स्कंदमाता की पूजा विधि और कथा

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, जिन्होंने राक्षसों से देवताओं की रक्षा के लिए युद्ध किया था।

आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर रवि योग

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है और प्रत्येक माह आने वाली चतुर्थी के बीच आषाढ़ की विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व होता है।

आषाढ़ विनायक चतुर्थी व्रत कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है, लेकिन आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी विशेष रूप से फल्दायाक मानी जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा, व्रत और कथा पाठ करने से जीवन के समस्त विघ्न समाप्त होते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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