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जिसने मरना सीखा लिया है (Jisane Marana Seekh Liya Hai)

जिसने मरना सीखा लिया है (Jisane Marana Seekh Liya Hai)

जिसने मरना सीखा लिया है,

जीने का अधिकार उसी को ।

जो काँटों के पथ पर आया,

फूलों का उपहार उसी को ॥


जिसने गीत सजाये अपने

तलवारों के झन-झन स्वर पर

जिसने विप्लव राग अलापे

रिमझिम गोली के वर्षण पर

जो बलिदानों का प्रेमी है,

जगती का प्यार उसी को ॥


हँस-हँस कर इक मस्ती लेकर

जिसने सीखा है बलि होना

अपनी पीड़ा पर मुस्काना

औरों के कष्टों पर रोना

जिसने सहना सीख लिया है,

संकट है त्यौहार उसी को ॥


दुर्गमता लख बीहड़ पथ की

जो न कभी भी रुका कहीं पर

अनगिनती आघात सहे पर

जो न कभी भी झुका कहीं पर

झुका रहा है मस्तक अपना यह,

सारा संसार उसी को ॥

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सामवेद (Samveda)

साम शब्द का अर्थ होता है गायन या गाना। सामवेद में गायन विद्या का भंडार है और माना जाता है कि यहीं से संगीत की उत्पत्ती हुई है। इस वेद में समस्त स्वर, ताल, लय, छंद, गति, मंत्र, स्वरचिकित्सा, राग, नृत्य मुद्रा और भाव के बारे में भी जानकारी मिलती है।

अथर्ववेद (Atharvaveda)

अथर्ववेद की रचना और उसके स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस वेद की रचना चारों वेदों में सबसे आखिर में हुई थी।

न्याय शास्त्र (Niyaye Sastra)

न्याय शास्त्र की रचना महर्षि गौतम द्वारा की गई थी.

योग शास्त्र (Yog Shaastr)

योग शास्त्र की रचना महर्षि पतंजलि द्वारा मानी जाती है।

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