मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ,
रखी चरना दे कोल रखी चरना दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल
मेरी फ़रयाद तेरे दर अगे होर सुनावा किन्हु,
खोल न दफ्तर ऐबा वाले दर तो थक न मेनू,
दर तो थक न मेनू रखी चरणा दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ
तेरे जेहा मेनू होर न कोई मैं जेहे लख तेनु,
जे मेरे विच ऐब न हुँदै तू बखशेंदा किन्हु ,
तू बखशेंदा कहणु रखी चरना दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ
जे ओगन वेखे सहिभा ता कोई नही मेरी थाओ,
जे ते रोम शरीर दे ओह तो वध गुनाहों,
ओह तो वध गुन्हाओ रखी चरना दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल
औखे वेले कोई नही न बाबुल वीर न माओ,
सबे थके देवदे मेरी कोई न पकड़े बाहों,
मेरी कोई न पकड़े बाहों रखी चरना दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल
तू पापी पार लंगाया तेरा बक्शन हारा नाओ,
बिन मंग्या सब कुछ देवदा मेरा ठाकुर अगम अगाहो,
मेरा ठाकुर अगम अगाहो रखी चरना दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल
वेख न लेख मथे दे मेरे करमा ते न जावी,
रखी लाज बिरद दी सतगुरु अपनी भगती लावी,
अपनी भगती लावी रखी चरना दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल
लंग गया गुरु कलगियाँ वाला अखी आगे सियो,
जानी पीछे जान आसा दी नैना रास्ते गाइयो,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कौल
उचे टीले चड चड वेखा बिट बिट अखी झाका,
दर्द विछोडे प्रीतम वाले मैं रो रो मारा हाका,
मैं रो रो मारा हाका रखी चरना दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ
रास्ते दे विच गुरु जी तेरे एह दिल फर्श विशावा,
सोहने चरण तुहाडे जोड़ा एह दोवे नैन बनावा,
एह दो नैन बनावा रखी चरना दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ
जवानी गई भुड़ापा आया उमरा लगी किनारे,
बीते जो तेरे चरना दे वोच सोई भले दिहाड़े,
सोई भले दिहाड़े रखी चरना दे कोल,
मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ
महाशिवरात्रि का व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सनातन धर्म में भगवान शिव को सुख-सौभाग्य, सत्य और आस्था का प्रतीक माना जाता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिल सकती है।
हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है, जिसका विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव महाकाल के रूप में विराजमान हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में यह तीसरे स्थान पर आता है। उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग देश का एकमात्र शिवलिंग है जो दक्षिणमुखी है। मंदिर से कई प्राचीन परंपराएं जुड़ी हुई हैं।