आ दरश दिखा दे मेरी माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दरश दिखा दे मेरी मां,
तुझे तेरे लाल बुलाते है ॥
आँखों के आंसू सूख चुके माँ,
अब तू दरश दिखा दे,
कब से खड़ा माँ दर पे तेरे,
मन की तू प्यास बुझा दे,
तेरी लीला निराली मेरी माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दरश दिखा दे मेरी मां,
तुझे तेरे लाल बुलाते है ॥
बीच भंवर में नैया पड़ी माँ,
आकर तू पार लगादे,
तेरे सिवा माँ कोई नहीं है,
आकर तू गले से लगा ले,
क्यूँ देर लगावे मेरी माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दरश दिखा दे मेरी मां,
तुझे तेरे लाल बुलाते है ॥
डूब रहा है सुख का सूरज,
गम की बदरिया है छाई,
उजड़ गयी बगिया जीवन की,
मन की कलि मुरझाई,
करे विनती ये सेवक माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दरश दिखा दे मेरी मां,
तुझे तेरे लाल बुलाते है ॥
आ दरश दिखा दे मेरी माँ,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे रो रो पुकारे मेरे नैन,
तुझे तेरे लाल बुलाते है,
आ दरश दिखा दे मेरी मां,
तुझे तेरे लाल बुलाते है ॥
आज इस पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। वहीं आज शुक्रवार का दिन है। इस तिथि पर अतिगण्ड और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। वहीं आज चंद्रमा सिंह राशि में मौजूद हैं और सूर्य कुंभ राशि में मौजूद हैं।
कुंभ जैसे विशेष अवसरों पर दिखने वाले नागा साधु कुंभ समाप्त होते ही अचानक कहां गायब हो जाते हैं? यह एक रहस्यमयी प्रश्न है। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान तीनों अमृत स्नान पूरे हो चुके हैं, और अब अखाड़ों का खाली होना शुरू हो गया है।
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थलों - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। यह आयोजन समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है।
सनातन हिंदू धर्म में, होली का त्योहार एकता, आनंद और परंपराओं का एक भव्य उत्सव है। इसकी धूम पूरे विश्व में है। दिवाली के बाद हिंदू धर्म में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में जाना जाने वाला होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।