लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली
तेरी आरती उतारूँ, भोली माँ
तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा
तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ
ओ, माँ, ओ, माँ
लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली
तेरी आरती उतारूँ, भोली माँ
तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा
तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ
ओ, माँ, ओ, माँ
धूल तेरे चरणों की लेकर माथे तिलक लगाया।
हो, धूल तेरे चरणों की लेकर माथे तिलक लगाया।
यही कामना लेकर, मैय्या, द्वार तेरे मैं आया।
रहूँ मैं तेरा हो के, तेरी सेवा में खो के।
सारा जीवन गुज़ारूँ, भोली माँ।
तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा।
तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ
ओ, माँ, ओ, माँ
सफल हुआ ये जनम कि मैं था जन्मों से कंगाल।
हो, सफल हुआ ये जनम कि मैं था जन्मों से कंगाल।
तूने भक्ति का धन दे के कर दिया मालामाल।
रहें जब तक ये प्राण, करूँ तेरा ही ध्यान।
नाम तेरा पुकारूँ, भोली माँ।
तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा।
तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ
ओ, माँ, ओ, माँ
लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली।
तेरी आरती उतारूँ, भोली माँ।
तू जो दे-दे सहारा, सुख जीवन का सारा।
तेरे चरणों पे वारूँ, भोली माँ।
ओ, माँ, ओ, माँ
ओ, माँ, ओ, माँ
भगवान अपने भक्तों को कब, कहा, क्या और कितना दे दें यह कोई नहीं जानता। लेकिन भगवान को अपने सभी भक्तों का सदैव ध्यान रहता है। वे कभी भी उन्हें नहीं भूलते। भगवान उनके भले के लिए और कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
मुरलीधर, मुरली बजैया, बंसीधर, बंसी बजैया, बंसीवाला भगवान श्रीकृष्ण को इन नामों से भी जाना जाता है। इन नामों के होने की वजह है कि भगवान को बंसी यानी मुरली बहुत प्रिय है। श्रीकृष्ण मुरली बजाते भी उतना ही शानदार हैं।
भक्त वत्सल की जन्माष्टमी स्पेशल सीरीज के एक लेख में हमने आपको बताया था कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना में कूदकर कालिया नाग से युद्ध किया था। क्योंकि उसके विष से यमुना जहरीली हो रही थी।
भगवान विष्णु ने रामावतार लेकर जगत को मर्यादा सिखाई और वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। वहीं कृष्णावतार में भगवान ने ज्यादातर मौकों पर मर्यादा के विरुद्ध जाकर अपने अधिकारों की रक्षा और सच को सच कहने साहस हम सभी को दिखाया।