माँगा है भोलेनाथ से, वरदान एक ही(Manga Hai Bholenath Se Vardan Ek Hi)

माँगा है भोलेनाथ से,

वरदान एक ही,

तेरी कृपा बनी रहे,

जब तक है ज़िंदगी,

मांगा है भोलेनाथ से,

वरदान एक ही ॥


जिस पर तुम्हारा हाथ था,

वो पार हो गया,

जो भी शरण में आ गया,

उद्धार हो गया,

जिसने भरोसा कर लिया,

डूबा कभी नहीं,

तेरी कृपा बनी रहे,

जब तक है ज़िंदगी,

मांगा है भोलेनाथ से,

वरदान एक ही ॥


कोई समझ सका नहीं,

माया बड़ी अजीब,

चरणों में जो भी आ गया,

वो तो है खुशनसीब,

इसके तो मर्ज़ी के बिना,

पत्ता हीले नही,

तेरी कृपा बनी रहे,

जब तक है ज़िंदगी,

मांगा है भोलेनाथ से,

वरदान एक ही ॥


ऐसे दयालु बाबा से,

रिश्ता बनाइये,

मिलता रहेगा आपको,

जो कुछ भी चाहिए,

ऐसा करिश्मा होगा जो,

पहले हुआ नहीं,

तेरी कृपा बनी रहे,

जब तक है ज़िंदगी,

मांगा है भोलेनाथ से,

वरदान एक ही ॥


कहते है लोग जिंदगी,

किस्मत की बात है,

किस्मत बनाना भी मगर,

बाबा के हाथ है,

‘बनवारी’ करले तू यकीं,

ज्यादा समय नहीं,

तेरी कृपा बनी रहे,

जब तक है ज़िंदगी,

मांगा है भोलेनाथ से,

वरदान एक ही ॥


माँगा है भोलेनाथ से,

वरदान एक ही,

तेरी कृपा बनी रहे,

जब तक है ज़िंदगी,

मांगा है भोलेनाथ से,

वरदान एक ही ॥


........................................................................................................
फाल्गुन मास की पौराणिक कथा

फाल्गुन’ का महीना हिंदू पंचांग का अंतिम महीना होता है। इस मास की पूर्णिमा फाल्गुनी नक्षत्र में होती है। जिस कारण इस महीने का नाम फाल्गुन पड़ा है। इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना भी कहा जाता है।

श्री शिव भगवान जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥

भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम (Bhar Pichkari Mari Hai Fag Machayo Shyam)

अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्याम,
अरा रा रा रा भर पिचकारी मारी है फाग मचायो श्या,

एकदंत संकष्टी चतुर्थी तिथि

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने