म्हारे सर पर है मैया जी रो हाथ(Mhare Sar Pe Hai Maiyaji Ro Hath)

म्हारे सर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥


जे कोई म्हारी मैया जी ने,

साँचे मन से ध्यावे,

काल कपाल भी मैया जी के,

भगता से घबरावे,

जे कोई पकड़्यो है,

मैया जी रो हाथ,

विको तो कोई काई करसी,

म्हारे सिर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥


जो माँ पे बिस्वास करे वो,

खूंटी ताण के सोवे,

बठे प्रवेश करे ना कोई,

बाल ना बांको होवे,

जाके मन में नहीं है विस्वास,

बीको तो मैया कई करसी,

म्हारे सिर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥


कलयुग माहि मैया म्हारी,

साँची नाम कमाई,

जद जद भीड़ पड़ी भगता पर,

दौड़ी दौड़ी आई,

या तो घट घट की जाणे सारी बात,

कोई तो म्हारो कई करसी,

म्हारे सिर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥


म्हारे सर पर है मैया जी रो हाथ,

कोई तो म्हारो कई करसी ॥

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हे राम भक्त हनुमान तुझे, मैंने तो अब पहचान लिया(Hey Ram Bhakt Hanuman Tujhe Maine To Ab Pehchan liya)

हे राम भक्त हनुमान तुझे,
मैंने तो अब पहचान लिया,

क्यों मनाई जाती है मत्स्य द्वादशी?

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाने वाली मत्स्य द्वादशी भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है।

छठि मैया बुलाए (Chhathi Maiya Bulaye)

बन परदेशिया जे गइल शहर तू
बिसरा के लोग आपन गांव के घर तू

गोविंद दामोदर स्त्रोत

हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है, जो भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्ति का एक शुभ अवसर है।

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