नित नयो लागे साँवरो (Nit Nayo Lage Sanvaro)

नित नयो लागे साँवरो,

इकि लेवा नज़र उतार,

नजर ना लग जावै,

एकी लेवा नज़र उतार,

नज़र ना लग जावे ।


सोने के सिंघासन पर,

बैठयो म्हारों श्याम धणी,

तन केसरियो बागों है,

सोभा अपरम्पार घणी,

धीरे धीरे मुळक रह्यो,

धीरे धीरे मुलक रह्यो,

नैना से छलके प्यार,

नज़र ना लग जावै,

एकी लेवा नजर उतार,

नज़र ना लग जावे ।


भाँति भाँति के फूला का,

लाम्बा लाम्बा गजरा है,

ऊपर से इतर छिड़के,

घणा श्याम का नख़रा है,

इके आगे फ़ीका है,

इके आगे फ़ीका है,

दुनिया का राजकुमार,

नज़र ना लग जावै,

एकी लेवा नजर उतार,

नज़र ना लग जावे ।


सजधज कर के श्याम धणी,

निज दरबार लगावे है,

एक बार जो देखे है,

नज़र हटा न पावे है,

बच के रहियों साँवरा,

बच के रहियों साँवरा,

बिन्नू का ये उदगार,

नज़र ना लग जावै,

एकी लेवा नजर उतार,

नज़र ना लग जावे ।


नित नयों लागे साँवरो,

इकि लेवा नज़र उतार,

नजर ना लग जावै,

एकी लेवा नज़र उतार,

नज़र ना लग जावे ।

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मरना है तो एक बार मरो (Marna Hai Too Ek Bar Maro)

मरना है तो एक बार मरो,
फिर चौरासी में पड़ना क्या,

बसंत पंचमी पर पीले कपड़े क्यों पहनते हैं?

बसंत पंचमी सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती को समर्पित है और हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

कालाष्टमी की मंत्र जाप

कालाष्टमी पर्व भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की शक्ति और महिमा का प्रतीक है। जब भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म होता है। काल भैरव समय के भी स्वामी हैं।

मुकुन्द माधव गोविन्द बोल (Mukund Madhav Govind Bol)

मुकुट सिर मोर का,
मेरे चित चोर का ।

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