प्रेम रंग से भरी ये ब्रज की होरी लागे ॥
दोहा – कान्हा पे रंग डारने,
गोरी राधिका आई,
रंग भरी वो प्यार के,
भर पिचकारी लाई ॥
प्रेम रंग से भरी ये ब्रज की होरी लागे,
ब्रज की होरी लागे,
कान्हा को तो लाल करने की तैयारी लागे ॥
मुरली मनोहर कारे कारे,
राधा गोरी गोरी,
कान्हा के संग खेलन आई,
बरसाने की होरी,
राधे और मोहन की,
हाँ राधे और मोहन की,
जोड़ी प्यारी लागे,
जोड़ी प्यारी लागे,
कान्हा को तो लाल करने की तैयारी लागे,
प्रेम रंग से भरी ये ब्रज की होली लागे,
ब्रज की होरी लागे,
कान्हा को तो लाल करने की तैयारी लागे ॥
ग्वाल बाल और सखियों ने भी,
कर ली है तयारी,
बच ना पाए होरी में तो,
कोई भी इस बारी,
फागुन माह की छटा तो,
फागुन माह की छटा तो,
बडी न्यारी लागे,
बडी न्यारी लागे,
कान्हा को तो लाल करने की तैयारी लागे,
प्रेम रंग से भरी ये ब्रज की होली लागे,
ब्रज की होरी लागे,
कान्हा को तो लाल करने की तैयारी लागे ॥
आओ भक्तो इस होरी में,
तुम भी तन मन रंग लो,
रंगों की इस होरी में,
प्रेम रंग तुम भर लो,
सारी दुनिया राधे मोहन,
सारी दुनिया राधे मोहन,
की पुजारी लागे,
हाँ पुजारी लागे,
कान्हा को तो लाल करने की तैयारी लागे,
प्रेम रंग से भरी ये ब्रज की होली लागे,
ब्रज की होरी लागे,
कान्हा को तो लाल करने की तैयारी लागे ॥
प्रेम रंग से भरी ये ब्रज की होरी लागे,
ब्रज की होरी लागे,
कान्हा को तो लाल करने की तैयारी लागे ॥
भानु सप्तमी इस साल 4 मई, रविवार को है और इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। सप्तमी तिथि को बड़ा ही शुभ माना जाता है, खासकर जब यह रविवार के दिन पड़ती है। इस दिन मध्याहन के समय सूर्य देव की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति को अपने जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भानु सप्तमी का व्रत करने से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि यह आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
सीता नवमी एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो माता सीता के जन्म की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर पड़ता है। इस दिन माता सीता की विशेष पूजा करने और व्रत रखने का खास महत्व होता है।
सीता नवमी का दिन माता सीता के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, जो वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ता है। इस दिन देवी सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और स्थायित्व आता है।