तुम करलो प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा,
बरसेगा नित बरसेगा,
तुम करलों प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा ॥
दया धर्म से प्रीति करलो,
भव सागर से पार उतर लो,
तेरा हो जाए बेडा पार,
अमृत बरसेगा,
तुम करलों प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा ॥
सत्य ज्ञान ही गहना,
कड़वा बोल कभी ना कहना,
तुम करो आत्म उद्धार,
अमृत बरसेगा,
तुम करलों प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा ॥
ॐ नाम का अमृत प्याला,
पी ले बनकर किस्मत वाला,
ये मिले ना बारमबार,
अमृत बरसेगा,
तुम करलों प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा ॥
तुम करलो प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा,
बरसेगा नित बरसेगा,
तुम करलों प्रभु से प्यार,
अमृत बरसेगा ॥
अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू धर्म में यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका फल अक्षय अर्थात् कभी नष्ट न होने वाला होता है। इस दिन धन, सौभाग्य और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा की जाती है।
अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। इसे ‘अबूझ मुहूर्त’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।
शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती है। इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश और व्यापार शुरू करने के लिए यह दिन श्रेष्ठ माना जाता है।
हिंदू धर्म में अनेक संत और महापुरुष हुए हैं, लेकिन आदि गुरु शंकराचार्य का स्थान उनमें सर्वोच्च है। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है और हर साल वैशाख मास की शुक्ल पंचमी के दिन उनकी जयंती श्रद्धा और भक्ति से मनाई जाती है।