सूरत बड़ी है प्यारी माँ की,
मूरत की क्या बात है,
सर पर सोहे मुकुट सुनहरा,
त्रिशूल चक्र भी हाथ है,
सज धज कर बैठी हो मैया,
अजब निराली ठाट है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है ॥
छवि तुम्हारी ऐसी मैया,
दूजी कोई और नहीं,
तीन लोक तेरे जैसा,
दूजा माँ सिरमौर नहीं,
लाल लाल मेहंदी ज्वाला जी,
रची तुम्हारे हाथ है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है ॥
हर एक रूप में प्यारी लगती,
सबका चित्त चुराती हो,
भक्त तुम्हारा भजन करे तो,
मन ही मन मुस्काती हो,
अंबर से होती है तुझपे,
फूलो की बरसात है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है ॥
आज तुम्हारे इस दर्शन को,
सेवक तुम्हारे आये है,
चोखानी के तुमने ही तो,
बिगड़े काज बनाये है,
सिंघ सवारी करती मैया,
अजब निराली शान है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है ॥
सूरत बड़ी है प्यारी माँ की,
मूरत की क्या बात है,
सर पर सोहे मुकुट सुनहरा,
त्रिशूल चक्र भी हाथ है,
सज धज कर बैठी हो मैया,
अजब निराली ठाट है,
वाह वाह क्या बात है,
वाह वाह क्या बात है ॥
नवरात्रि का पाँचवें दिन स्कंदमाता की उपासना की जाती है। मैय्या इस रूप में मोक्ष और सुख देने वाली है। साथ ही मां मनोकामनाएं भी पूर्ण करती है।
नवरात्रि की छठी तिथि को मां कात्यायनी का पूजन किया जाता है। यह मां पार्वती का दूसरा नाम है। इसके अलावा मां के इस स्वरूप को उमा, गौरी, काली, हेेमावती व ईश्वरी नामों से भी जाना जाता हैं।
भारत की पवित्र नगरी गया दरअसल भगवान विष्णु की पावन भूमि के रूप में जानी जाती है। गया पूरे विश्व में पिंडदान और श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है।
प्राचीन भारतीय परंपराओं और आयुर्वेद में आहार का सीधा संबंध ऋतु और शरीर की ज़रूरतों से बताया गया है। भारतीय संस्कृति के अभ्यासी और भारतीय संस्कृति के जानकार पंडित डॉ. राजनाथ झा इस विषय पर बताते हैं कि हर महीने के अनुसार आहार का चयन करना न केवल शरीर के स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक संतुलन के लिए भी आवश्यक है।