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कहन लागे मोहन मैया मैया (Kahan Lage Mohan Maiya Maiya)

कहन लागे मोहन मैया मैया (Kahan Lage Mohan Maiya Maiya)

कहन लागे मोहन मैया मैया,

पिता नंद महर सों बाबा बाबा,

और हलधर सों भैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,


ऊँचे चढ़ चढ़ कहती जशोदा,

लै लै नाम कन्हैया,

ले ले नाम कन्हैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,


दूर खेलन जन जाहूं लाल रे,

मारैगी काहूँ की गैयाँ,

मारेगी काहू की गैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,


गोपी ग्वाल करत कौतूहल घर घर बजति बधैयाँ,

घर घर बजती बधैया,

घर घर बजती बधैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,


मणि खमबन प्रति बिन बिलोकत

हो नाचत कुवर निज कन्हियाँ

कहन लागे मोहन मैया मैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,


सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कों चरननि की बलि जैयाँ,

चरननि की बलि जैया, बलि जैया

कहन लागे मोहन मैया मैया,

कहन लागे मोहन मैया मैया,

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दशहरा पूजन विधि

हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।

भगवान राम और माता शबरी के बीच का संवाद

जब बरसों के इंतजार के बाद श्रीराम शबरी की कुटिया में पहुंचे, तो उनके बीच एक अनोखा संवाद हुआ।

शबरी जयंती क्यों मनाई जाती है?

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है, जो भगवान राम और उनकी भक्त शबरी के बीच के पवित्र बंधन का प्रतीक है।

शबरी जंयती की पूजा विधि

शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।

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