प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा,
गणपति जगत खिवैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
खजराना मे आन बिराजे,
ये मेरे गणराज रे,
रिद्धि सिद्धि के दाता देखो,
ये मेरे महराज रे,
तुम हि दिन बंधु दुख हरता,
तुम ही सर्व जगत के कर्ता,
आन विराजौ बिछी हुई है,
आशाओं की छैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
लेकर द्वार तुम्हारे आये,
ये फूलों की माला,
देखो हमको भूल ना जाना,
तु सबका रखवाला,
तुमहि दिन बंधु दुख हरता,
तुम ही सर्व जगत के कर्ता,
आन विराजौ बिछी हुई है,
आशाओं की छैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
भक्ति का ज्ञान देदे हमको,
शक्ति की इक्छा देदे,
नस नस मे हो प्रेम भावना,
ऐसी इच्छा दे दे,
तुमहि दिन बंधु दुख हरता,
तुम ही सर्व जगत के कर्ता,
आन विराजौ बिछी हुई है,
आशाओं की छैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा,
गणपति जगत खिवैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत होने में एक महीने से भी कम समय रह गया है। साधु-संतों के अखाड़े प्रयागराज पहुंच चुके हैं। वहीं लोग बड़ी संख्या में संगम पर स्नान करने आने वाले हैं। लेकिन इसके साथ ऐसे भी कुछ श्रद्धालु होंगे, जो कल्पवास के लिए प्रयाग पहुंचेंगे।
कल्पवास की परंपरा हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा है। इस पंरपरा के मुताबिक व्यक्ति को एक महीने तक गंगा किनारे रहकर अनुशासित जीवनशैली का पालन करना होता है। यह एक तरह का कठिन तप माना गया है।
कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचने वाले हैं। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण कल्पवास होगा। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो माघ मास में किया जाता है।
सनातन धर्म में रंगों को हमेशा से पवित्र माना गया है। रंगोली, न सिर्फ हमारे घरों को सजाती है बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी हमारे मन को शांत और खुशहाल बनाती है।