प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा,
गणपति जगत खिवैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
खजराना मे आन बिराजे,
ये मेरे गणराज रे,
रिद्धि सिद्धि के दाता देखो,
ये मेरे महराज रे,
तुम हि दिन बंधु दुख हरता,
तुम ही सर्व जगत के कर्ता,
आन विराजौ बिछी हुई है,
आशाओं की छैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
लेकर द्वार तुम्हारे आये,
ये फूलों की माला,
देखो हमको भूल ना जाना,
तु सबका रखवाला,
तुमहि दिन बंधु दुख हरता,
तुम ही सर्व जगत के कर्ता,
आन विराजौ बिछी हुई है,
आशाओं की छैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
भक्ति का ज्ञान देदे हमको,
शक्ति की इक्छा देदे,
नस नस मे हो प्रेम भावना,
ऐसी इच्छा दे दे,
तुमहि दिन बंधु दुख हरता,
तुम ही सर्व जगत के कर्ता,
आन विराजौ बिछी हुई है,
आशाओं की छैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा,
गणपति जगत खिवैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला ॥
छत्तीसगढ़ भारत का एक ऐसा राज्य है जो प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। पौराणिक महत्व रखने वाला ये राज्य मंदिरों और तीर्थ स्थलों से घिरा हुआ है। यहां के कई मंदिर ना केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी प्रसिद्ध हैं।
छत्तीसगढ़ का कबीरधाम जिला जो पहले कवर्धा जिला कहलाता था। यहां नवरात्रि में एक विशेष धार्मिक परंपरा है। दरअसल दुर्गा अष्टमी की रात को यहां तीन प्रमुख देवी मंदिरों से खप्पर निकाले जाते हैं।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले का थनौद गांव बहुत खास है। यहां नवरात्रि के दौरान एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। यहां मां दुर्गा की प्रतिमाओं का श्रृंगार केवल महिलाएं ही करती हैं, जिसमें मूर्तिकारों की पत्नियां, बहनें, बेटियां और बहुएं शामिल होती हैं।
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