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गणपति, गजानन, गणाधिपति, लंबोदर; जानें गणेश जी के 15 मुख्य नामों का अर्थ

गणपति, गजानन, गणाधिपति, लंबोदर; जानें गणेश जी के 15 मुख्य नामों का अर्थ
वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ,
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।


आपने अक्सर किसी काम का शुभारंभ करते समय भगवान गणेश का ये मंत्र जरूर सुना होगा। इसका अर्थ है- ‘घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली। मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करने की कृपा करें॥’


सभी देवों में प्रथम पूज्यनीय रिद्धि-सिद्धि के दाता गजानन गणपति महाराज की महिमा निराली है। मंगल करने वाले महादेव और माता गौरी के लाल गणेश जी की आराधना उनके भक्त अनेकानेक नामों से करते हैं। 


भक्त वत्सल की गणेश चतुर्थी स्पेशल सीरीज ‘गणेश महिमा’ में आज हम आपको भगवान गणेश के मुख्य नाम और उनके अर्थ के बारे में बताने जा रहे हैं…


श्री गणेश - भगवान के इस नाम का अर्थ है- लोगों के भगवान। यह नाम गण और इश शब्द से मिलकर बना है। गण मतलब लोग और इश मतलब ईश्वर। 


गणपति - गणपति भगवान के मुख्य नामों में से एक है। इसमें गण का अर्थ- भगवान शिव के सेवकों से है और पति का अर्थ है- उन सभी के शासक। ऐसे में शिवगणों के अधिपति होने के कारण उन्हें गणपति नाम मिला है।


विनायक - मान्यता है कि मस्तक कटने से पहले भगवान गणेश जी का नाम विनायक था। इसे भगवान का पहला नाम कहा गया है। विनायक का अर्थ होता है सब बाधाओं को दूर करने वाला नेतृत्वकर्ता।


गजानन - यह नाम गज और आनंद दो शब्दों का मेल है। भगवान के हाथी यानी गज वाले मुख के कारण यह नाम पड़ा। भगवान आनंद के दाता हैं इसलिए गजानन नाम भक्तों को बड़ा आनंद देता है।


गणाधिपति या गणेश्वर - यह नाम गणेश नाम से मिलता-जुलता है। इसे गणेश का पर्यायवाची कहा जा सकता है। इसका अर्थ भी गणों के ईश्वर या अधिपति ही है। 


गौरीनंदन या गौरीपुत्र - यह नाम गणेश जी को मां गौरी के लाल होने के कारण मिले हैं। 


सिद्धिविनायक - इस नाम का अर्थ है- सफलता प्रदान करने वाला। भगवान गणेश सिद्धि के दाता हैं और हर काम को सिद्ध करते हैं। मान्यता है कि गणपति की जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरह मुड़ी होती है वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं। इसलिए ऐसे मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं। सिद्धि विनायक मनोकामना को तुरन्त पूरा करने के लिए भक्तों के प्रिय स्वरूप भी हैं।


अष्टविनायक - भगवान का यह नाम और स्वरुप महाराष्ट्र में बहुत अधिक लोकप्रिय है। अष्टविनायक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है- आठ गणेश। महाराष्ट्र में अष्टविनायक के आठ मंदिर विश्व में प्रसिद्ध हैं। प्रत्येक मंदिर की मूर्तियां अलग स्वरूप में हैं। कहा जाता है कि ये आठ मूर्तियां स्वयंभू हैं, यानी अपने आप प्रकट हुई हैं।


बुद्धिपति, शुभकर्ता, सुखकर्ता, विघ्नहर्ता - गणपति के इन नामों की महिमा शाब्दिक अर्थ निकालकर ही समझी जा सकती है। बुद्धि के देवता गणपति को बुद्धिपति भी कहा जाता है। इसी तरह भक्तों के लिए सदैव शुभ और सुख के पर्याय भी शुभकर्ता, सुखकर्ता गजानन ही है। भक्तों के सभी विघ्न दूर करने वाले गणेश जी को दुनिया विघ्नहर्ता के रूप में भी पूजती है।


सुपकर्ण - गणेश जी का मुख हाथी जैसा है, जिस कारण उनके बड़े-बड़े कान हैं। इन बड़े कानों का स्वरूप सुप यानी सुपडे जैसा है। इस कारण गणेश जी का एक नाम सुपकर्ण भी है। आपको बता दें कि पुराने जमाने में अनाज की सफाई के लिए सुप का प्रयोग होता था। इसका आकार हाथी के कान जैसा होता था।


लंबोदर - यह शब्द लंबे और उदर दो शब्दों से मिलकर बना है। गणेश जी का पेट बड़ा विशाल है। इस लंबे उदर के कारण उनका एक नाम लंबोदर भी है।


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सूर्य गोचर 2025 का इन राशियों पर होगा प्रभाव

हिंदू धर्म में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। 2025 की शुरुआत में सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में जाने से कई राशि प्रभावित होंगे। सूर्य का मकर गोचर 14 जनवरी 2025 को सुबह 09 बजकर 03 मिनट पर होगा।

बृहस्पति गोचर 2025

2025 में विभिन्न ग्रह अपनी राशि परिवर्तन करेंगे। इसमें गुरु का भी गोचर होगा। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में देवताओं के गुरु बृहस्पति सभी ग्रहों में सबसे खास और असरकारक ग्रह माने जाते हैं।

शुक्र गोचर 2025

2025 में शुक्र ग्रह एक निश्चित अवधि के बाद राशि परिवर्तन करेंगे। इसका प्रभाव 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी प्रकार से अवश्य पड़ेगा। दैत्यों के गुरु शुक्र को प्रेम-आकर्षण, कामना, सुख-समृद्धि, धन-वैभव का कारक ग्रह माना जाता है।

शनि का गोचर

शनिदेव 29 मार्च 2025 को देर रात 11 बजकर 01 मिनट पर कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में शनिदेव ढाई साल तक रहेंगे।

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