राधा को नाम अनमोल बोलो राधे राधे।
श्यामा को नाम अनमोल बोलो राधे राधे॥
ब्रह्मा भी बोले राधे, विष्णु भी बोले राधे।
शंकर के डमरू से आवाज आवे राधे राधे॥
गंगा भी बोले राधे, यमुना भी बोले राधे।
सरयू की धार से आवाज आवे राधे राधे॥
चंदा भी बोले राधे, सूरज भी बोले राधे।
तारो के मंडल से आवाज आवे राधे राधे॥
गैया भी बोले राधे, बछड़ा भी बोले राधे।
ढूध की धार से आवाज आवे राधे राधे॥
गोपी भी बोले राधे, ग्वाले भी बोले राधे।
बृज की सब गालिओ से आवाज आवे राधे राधे॥
राधा को नाम अनमोल बोलो राधे राधे।
श्यामा को नाम अनमोल बोलो राधे राधे॥
हमारा भारत देश बहुत ही विभिन्न विधिताओं से परिपूर्ण है। यहां बहुत सारे सुंदर नजारे देखने को मिलते हैं, जैसे कि पहाड़, समुद्र और नदियां आदि। गंगा और यमुना जैसी बड़ी-बड़ी नदियों के अलावा, हमारे देश में सरस्वती जैसी पौराणिक नदी भी रही है।
उदासीन संप्रदाय के तीन प्रमुख अखाड़े हैं। इनमें से एक अखाड़ा है , उदासीन नया अखाड़ा। इस अखाड़े की स्थापना 1902 में हुई थी। इसका प्रमुख केंद्र कनखल, हरिद्वार में स्थित है।
उदासीन संप्रदाय का निर्मल पंचायती अखाड़ा देश के प्रमुख अखाड़े में गिना जाता है। यह इकलौता अखाड़ा है , जहां हिंदू और सिख समुदाय का समागम देखने को मिलता है।
निर्मोही अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय का एक प्रमुख अखाड़ा है।इसकी स्थापना 14वीं शताब्दी में वैष्णव संत और कवि रामानंद ने की थी। यहां के साधु-संत भगवान राम की पूजा करते हैं और अपना जीवन उन्हीं को समर्पित करते हैं।