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फुलेरा दूज की कथा

फुलेरा दूज की कथा

Phulera Dooj Katha: फुलेरा दूज से जुड़ी है कथा, जानें त्योहार का महत्व और पूजा विधि



फुलेरा दूज हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी को समर्पित होता है। इस दिन  को उत्तरी राज्य खासकर  ब्रज क्षेत्र में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। फुलेरा दूज के दिन मथुरा-वृंदावन और अन्य कृष्ण मंदिरों में विशेष उत्सव होते हैं और भक्तजन भगवान के साथ फूलों की होली खेलते हैं। यह दिन अबूझ मुहूर्त का भी माना जाता है। यानि आप कोई भी शुभ कार्य किसी भी समय कर सकते हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि फुलेरा दूज क्यों मनाई जाती है। आइए लेख के जरिए आपको बताते हैं।


फुलेरा दूज की कथा


फुलेरा दूज का पर्व मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ है।। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण राधा रानी से मिलने के लिए बहुत उत्सुक थे। वे उनसे मिलने के लिए ब्रज गए, लेकिन वे राधा रानी को नहीं पा सके। भगवान कृष्ण राधा रानी के विरह में इतने दुखी हुए कि उन्होंने फूलों से होली खेलना शुरू कर दिया। उन्हें देखकर राधा रानी भी उनके साथ होली खेलने लगीं।तभी से  फुलेरा दूज को भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रेम के प्रतीक के रूप में मनाया जाने लगा। इसके अलावा यह पर्व वसंत ऋतु के आने का संकेत है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में विशेष सजावट की जाती है और भजन-कीर्तन होते हैं।


फुलेरा दूज का महत्व



फुलेरा दूज को प्रेम और उत्साह का त्योहार माना जाता है।यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम को समर्पित है।इस दिन लोग फूलों से होली खेलते हैं और भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को विशेष रूप से सजाया जाता है, और उन पर गुलाल और फूलों की वर्षा की जाती है। यह दिन विवाह के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा फुलेरा दूज का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का संकेत होता है।
  

फुलेरा दूज की पूजा विधि



इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा का विशेष महत्व है।

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।  पूजा स्थल को स्वच्छ करके, भगवान कृष्ण और माता राधा की मूर्तियों को पंचामृत से स्नान कराएं। 
  2. इसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाएं और फूलों से सजाएं। पूजा में माखन-मिश्री, फल, मिठाई और फूल अर्पित करें। 
  3. फिर भजन-कीर्तन करें और अंत में आरती उतारें। पूजा के बाद  प्रसाद को परिवार और दोस्तों में बांटे।

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